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डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर के सपने का भारत बनानी की जरूरत है. मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम. दि. १४ एप्रिल २०२१

Summary

डॉ.बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले. Indian Caste System की बुराइयों के बीच जन्मे बाबासाहेब ने बचपन से ही उपेक्षा और असमानता का आघात […]

डॉ.बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले. Indian Caste System की बुराइयों के बीच जन्मे बाबासाहेब ने बचपन से ही उपेक्षा और असमानता का आघात झेला। कोई आम आदमी इन आघातों से कमजोर पड़ जाता पर बाबासाहेब तो कुछ अलग ही मिटटी के बने थे; इन आघातों ने उन्हें वज्र सा मजबूत बना दिया और अपनी असीम इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर उन्होंने एक आधुनिक भारत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया। आंबेडकर बहूत प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। भीमराव अम्बेडकर को 6 भारतीय और 4 विदेशी ऐसे कुल दस भाषाओं का ज्ञान था,अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी, पालि, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच और बंगाली ये भाषाएं वे जानते थे। भीमराव ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लिखा है। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के बावजुद भी उनकी इतनी सारी किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का इतना बडा यह संग्रह वाकई अद्भुत है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे और यह प्रतिभा एवं क्षमता उन्होंने अपने कठीन परिश्रम से हासिल की थी। वे बडे साहसी लेखक या ग्रंथकर्ता थे, उनकी हर किताब में उनकी असामान्य विद्वता एवं उनकी दुरदर्शता का परिचय होता है।
आंबेडकर के ग्रंथ भारत में ही नहीं बल्की पुरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है, और पुरे विश्व में पढे जाते है। उन्होंने लिखे हुए महान भारतीय संविधान को भारत का राष्ट्रग्रंथ माना जाता है, भारतीय संविधान किसी भी धर्मग्रंथ से कम नहीं है तथा वो विश्व के प्रमुख महानतम किताबों में एक है। भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह उनका ग्रंथ भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ है, तथा बौद्ध देशों में बहूत मशहूर एवं महत्वपुर्ण है।
राजनिती अर्थशास्त्र, मानवविज्ञान, धर्म, समाजशास्त्र, कानून आदी क्षेत्रों में उन्होंने किताबें लिखी है। रुपयो कि समस्या द प्राब्लम ऑफ रूपी किताब लिखकर रुपयो कि समस्या का समाधान ढूँढ निकाला.
भीमराव अम्बेडकर बाबा साहेब के नाम से लोकप्रिय ,भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री एवं भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे। आंबेडकर विपुल प्रतिभा का छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने विधि ,अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञानं के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान मरणोपरांत अम्बेडकर पर सम्मानित किया गया था।
आओ हम सब मिलकर संकल्प ले और बाबा साहब के सपनो का भारत बनाये…

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