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पढो और दिमागसे सोचो? .. मृत शरीर से अवयव शिकले जाते इस बात का खंडन क्यो नही किया जाता?? प्रकाश पोहरे

Summary

मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि. 30 अप्रैल 2021 वो कौन राक्षस है ? जिसने लाॅकडाउन, क्वारंटाइन, मास्क, आक्सीमीटर, सोशल डिस्टेन्सिंग, सेनीटाइजर, पीपीई किट और कोरोना अंतिम संस्कार का षडयंत्र बनाया? अगर ये महामारी सास से फैलती है , तो जीसकी […]

मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि. 30 अप्रैल 2021
वो कौन राक्षस है ? जिसने लाॅकडाउन, क्वारंटाइन, मास्क, आक्सीमीटर, सोशल डिस्टेन्सिंग, सेनीटाइजर, पीपीई किट और कोरोना अंतिम संस्कार का षडयंत्र बनाया? अगर ये महामारी सास से फैलती है , तो जीसकी सास रुक गयी है ऐसे मृत शरीर से फिर कोनसी बिमारी फैलती है ? और क्यो उसका शरीर आप्तजन को नही सोपा जाता ? और हम मूर्ख इस बात का विरोध नही करते?
*मृत शरीर से अवयव निकले जाते है इस बात का खंडन क्यो नही किया जाता ?*
एक वायरल फीवर को महामारी किस आधार पर कहा ? जबकि ईलाज नहीं होने के बावजूद लोग ठीक हो रहे हैं। मरे इन्सान का पी एम नहीं करके मौत का असली कारण छुपा लिया गया….और हम कायर देखते रहे .मास्क लगवाकर आक्सीजन की कमी पैदा कर दी और पल्स आक्सीमीटर थमा दिया….और हम बेवकूफ बन गये .लाॅकडाउन की कोई हद नहीं है ….और हम गुलाम बन रहे हैं
मनुष्य सामाजिक प्राणी है, मनुष्य को समाज से दूर कर दिया कि आपस में सलाह मशविरा ना कर सकें….और हम पागल बन रहे हैं
चाहे कुछ भी हो जाए, हम अपनों की देखभाल बङे प्यार और आदर से करते थे….हमारा यह अधिकार भी छीन लिया ….और हम जिंदा लाश हो रहे हैं .
बिमार को सहायता चाहिए, लेकिन उसे उसके हाल पर अकेला कैद कर दिया जा रहा है…और हम बेशर्म नालायक बन रहे हैं . HO की गुलाम सरकार ने सर्दी खांसी और बुखार को महामारी बना दिया ….और हम डरपोंक तमाशा देख रहे हैं .डाॅक्टर भय का व्यापार कर रहे हैं ….और हम डाॅक्टर को भगवान बना रहे हैं . किसके इशारे पर सिर्फ 150 साल पुराणी अलोपॅथी को कारगर समझा जा रहा है और हमारे हजारो साल पुराणे आयुर्वेदको मुर्खता समजकर दरकिनार किया जा रहा है ? इस विषय पर लगातार काम कर रहे और सवाल पुछ रहे डॉ विश्वरूप चौधरी, डॉ तरुण कोठारी के सवालो का जबाब क्यो नही दिया जा रहा है? क्यो उनके व्हिडीओ डिलीट किये जा रहे है? कुछ गुलाम पी पी ई किट पहने भूत बनकर नरक का नाटक कर रहे हैं ….और हम सच में डर कर दुबके जा रहे हैं? हमें अच्छे से पता है कि लाॅकडाउन बर्बादी का रास्ता है …और हम अपनी बरबादी को गले लगा रहे हैं ! आखीर क्यो?
ये कोरोना गाइडलाइन के नियम कायदे कौन हरामखोर बना रहा है… बे सिर पैर के नियम कायदों ने लोगों का जीना हराम कर दिया है, कार के अंदर अकेला आदमी मास्क पहने इतनी बेवकुफी हम कैसे कर सकते है?..
जब वैक्सीन लगने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं तो आखिर किसके दबाव में यह जहरीली वैक्सीन लगभग जबरदस्ती डरवा डरवा कर लोगों को लगवाई जा रही है… और कोई गारंटी लेने को तैयार नहीं है की वैक्सीन लगवाने के बाद जान बचेगी या नहीं?..जब कोविड-19 वायरस का कोई इलाज ही नहीं है और आरटी पीसीआर टेस्ट कोरोना की जांच में निर्णायक नहीं है, तो क्यों यह पॉजिटिव नेगेटिव का खेल खेला जा रहा है? लाॅकडाउन करके क्यों लोगों की जिंदगी गुलामी की ओर ले जाई जा रही है? क्या लोग अब किसी और रोग से नहीं मरते हैं ? क्या अब किसी को हार्ट अटैक नहीं होता ? क्या अब कोई कैंसर से नहीं मरता ? क्या अब कोई ट्यूबरक्लोसिस से नहीं मरता ? क्या अब कोई एक्सीडेंट और नशे से नहीं मरता ? ज्यादातर लोग हॉस्पिटल में ही क्यों मर रहे हैं ? अन्य बीमारियों से मरने वालों की संख्या क्यों नहीं उजागर कर रहे हैं ? ये क्या षडयंत्र है ? सोचो और अगर ठीक लगे तो 1 मे 2021 को सुबह 10 बजेसे दोपहर 2 बजे तक मानवी शृंखला मे शामिल हो जाइये . प्रकाश पोहरेअपील करते है की जीन लोगोने ये पढा और सही समझमे आया तो अपने एरिया , मोहल्लासे यह जागृती आंदोलन मानवी शृंखला से शुरू करो और पुरे शहरको जोडो. मत डरिये , हम लोकशाही मे जी रहे है , ना की तानाशाही मे अकोला की मानवी  शृंखला रतनलालप्लॉट चौक से शुरू होगी
( बिनती करता है प्रकाश पोहरे?
98225 93921
2prakashpohare@gmail.com)

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