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सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कुमार रतूड़ी और उनके परिवार ने पहले नेत्र दान और अब संविधान दिवस और 26/11में शहीद हुए शहीदों की शहादत को नमन करते हुए उनकी स्मृति में अपने अपने शरीर देहदान करते हुए मानवता, इंसानियत को समर्पित किए

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सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कुमार रतूड़ी और उनके परिवार ने पहले नेत्र दान और अब संविधान दिवस और 26/11में शहीद हुए शहीदों की शहादत को नमन करते हुए उनकी स्मृति में अपने अपने शरीर देहदान करते हुए मानवता, इंसानियत को समर्पित […]

सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कुमार रतूड़ी और उनके परिवार ने पहले नेत्र दान और अब संविधान दिवस और 26/11में शहीद हुए शहीदों की शहादत को नमन करते हुए उनकी स्मृति में अपने अपने शरीर देहदान करते हुए मानवता, इंसानियत को समर्पित किए👇🏻 नागपुर सामाजिक संगठन किंग कोबरा आर्गेनाइजेशन यूथ फोर्स राष्ट्र निर्माण की और दो कदम नारी शक्ति एक सम्मान पशु क्रूरता के ख़िलाफ़ जंग राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता पुलिस शांतता समिति केन्द्रीय पदाधिकारी
न्याय मित्र PLV विधी सेवा प्राधिकरण जिला सत्र अदालत व ४५ सामाजिक संस्थाओं का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करने के अलावा कई सरकारी संवैधानिक संस्थाओं का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय राज्य स्तर पर करने वाले और लगभग ३० सालों से निस्वार्थ निर्भीक निशुल्क निष्पक्ष देश-जनसेवा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता श्री अरविंद कुमार रतूड़ी और उनके परिवार ने पहले इंसानियत मानवता को सर्वोपरि मानकर माधव नेत्रपीढी में जाकर नेत्र दान किया था और आज संविधान दिवस पर राष्ट्रीय धर्म और भारतीय संविधान को सर्वोपरि मानकर शासकीय सरकारी अस्पताल मेडिकल कॉलेज को देहदान किया है अरविंद कुमार रतूड़ी (४६) पत्नी सुनीता रतूड़ी (३७) बेटियां फाल्गुनी रतूड़ी (१८) आयुषी रतूड़ी (९) ने मरणोपरांत अपने अपने नेत्र,देह और अंगों को दान कर दिया है और अपने सभी हितैषियों समर्थकों रिश्तेदारों से भी मानवता इंसानियत की खातिर आगे आते हुए बढ़ चढ़कर इस नेक कार्य को करने की मार्मिक अपील की है रतूड़ी परिवार का कहना है कि ये जिंदगी दूसरों के काम आनी चाहिए जीते जी और मरने के बाद भी सिर्फ जिंदा रहना और परिवार के लिए जीना ही जिंदगी नहीं है बल्कि जिंदगी और जिम्मेदारी वो है जो राष्ट्र इंसानियत और मानवता के काम आ सकें और मरने के बाद भी आप दूसरों के काम आने के अलावा किसी ना किसी बेवस जरूरतमंद इंसान को नवजीवन देने का काम करें और लोग जाने के बाद भी आपको आपके अच्छे कार्यों को याद रखें जिंदगी का क्या है आज है कल नहीं है इसलिए अपने कर्तव्य निभाने की कोशिश हमेशा करनी चाहिए यही मानव जीवन का सम्मान और उद्देश्य होना चाहिए रतूड़ी परिवार ने नेत्रदान अंग दान और देहदान करने का संकल्प भारतीय आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में १५ अगस्त के पावन दिन किया था और आज इसे साकार रूप दिया है जो शहिदों को समर्पित और संविधान दिवस को साक्षी मानकर किया गया है इस देहदान और अंगदान के साक्षीदार और प्रमुख उपस्थित सेवादल महिला महाविद्यालय के चैयरमेन अध्यक्ष श्री डॉ.प्रचार्य संजय शेंडे प्रोफेसर श्री डॉ सुशील मेश्राम प्रोफेसर श्री पुरूषोत्तम गजभिए की रही ।।

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