सावनेर कलमेश्वर विधानसभा क्षेत्र की आगामी चुनावी समीक्षा भाग -1 संवाददाता किशोर ढुंढेले कांग्रेस पार्टी का नाम अघोषित,बीजेपी मे लगी प्रत्याशीयोकी कतार
सावनेर:
जैसे-जैसे राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और अगले कुछ महीनों में चुनाव होने की संभावना है, सभी पार्टियों ने मोर्चा बनाना शुरू कर दिया है और सत्ता पक्ष और विपक्षी दल राज्य में अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. राज्य में सत्ता पक्ष अपने ढाई वर्षके कार्यकाल तथा मुख्यमंत्री लाडली बहन योजनासे अपने वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी का दंभ भर रहा है तो वहीं विपक्षी दल सत्ता पक्ष को पूरी तरह से नाकाम बताकर घेरने की तैयारी में हैं. वही चुनाव लढनेका मनसुबा रखनेवाले प्रत्याशी और उनके समर्थक अपने अपने नेताको सोशल मीडिया पर भावी विधायक, एकच साहब, आमचा भाऊ पावरफुल ऐसे स्टेटस रखकर चुनाव में अपनी मौजूदगी दिखाने को बेताब हैं तथा गांवों में बड़े-बड़े होर्डिंग बोर्ड लगा रहे हैं, तो कुछ इच्छुक नेता मंडली पार्टीके आलाकमान नेताओंसे संपर्क साध तीकट का जुगत लगा रहे हैं.
सावनेर कलमेश्वर विधान सभा का इतिहास
सावनेर कलमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि पहले के सावनेर पारशिवनी और आज के सावनेर कलमेश्वर विधानसभा क्षेत्र में पिछले छह दशक यानी 1962 से 2019 तक हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुनील केदार ने पार्टी दो बार निर्दलीय और एक बार बीजेपी उम्मीदवार देवराव असोले विजयी रहे. वही इस विधानसभा क्षेत्रपर कांग्रेस पार्टी का एकछत्र राज होने का इतिहास रहा है. इसमें 1962 से 1972 तक तीन बार कांग्रेस पार्टी के नरेंद्र तिडके, 1978 और 1980 में दो बार कांग्रेस पार्टी के रामजी नाईक,1985 और 1990 में दो बार जीतने वाले रणजीत देशमुख 1995 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के सुनील केदार ने निर्दलीय चुनाव लढकर राज्यके तत्कालीन काँग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तया मंत्री रणजित बाबू देशमुख को पटकनी देकर उनके हँट्रीक करणेके सपनो को तोडा था. 1999 के चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी के देवराव आसोले ने सुनील केदार को हराया और पहली बार भाजपा ने सावनेर विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल की कि, 2004 के विधानसभा चुनावों में, सुनील केदार ने फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक देवराव आसोले को हराकर सीट पर कब्ज़ा कर लिया और बाद में 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व कर अपना क्षेत्र सुरक्षित रखा। वही सावनेर कलमेश्वर विधानसभा के चुनाव की जीत में जातिगत समीकरण का बहुत बड़ा प्रभाव है, खास बात यह है कि इस विधानसभा क्षेत्र में चुने जाने वाले अधिकांश प्रत्याशी कुनबी समुदाय से हैं…
कौन होगा काँग्रेस प्रत्याशी
नागपुर जिला सहकारी बैंक घोटाले में पांच साल की सजा के कारण सुनील केदार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, इसलिए यह भी तय है कि कांग्रेस पार्टी सुनील केदार को अपने पसंदीदा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारेगी। या सुनील केदार व्दारा सुझाये कीसी नये प्रत्याशीपर दाव लगायेगी. राजनैतिक जानकर तथा सुत्रो की माने तो सुनील केदार अपनी सजा पर स्थगन पाने हेतू न्यायालयीन प्रक्रीयामे व्यस्त है. चुनाव से पहले अगर न्यायालय उनके सजापर स्थगिती देती है तो वे खुद ही चुनाव लढेंगे अन्यथा कीसी नजदीकी को विधायक बनाने हेतू पुरा जोर लगायेंगे . इसीलिए अब तक कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा इस पर असमंजस बना हुआ है.
भारतीय जनता पार्टी में प्रत्याशीयोकी लंबी कतार
भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवारी पाने वाले पूर्व विधायक डाॅ आशीष देशमुख, नागपुर जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष, जो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुये नागपुर जिला ग्रामीण के कद्दावर नेता के रुपमे उभरते मनोहर कुंभारे, पिछले दो नगर पालीका चुनाव में सुनील केदार के उम्मीदवारों पटकनी देकर नगर पालीकामे भाजपा की सत्ता स्थापित करणेवाले रामराम मोवाडे, भाजपा ओबीसी आघाडी के जिला अध्यक्ष प्रकाश टेकाड़े, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष अशोक धोटे, दिवंगत वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता दादाराव मांगले, जो 1985 और 1990 के चुनाव में पराजित हुए थे उनके पुत्र तथा सावनेर तालुका भाजपा अध्यक्ष मंदार मांगले, स्व. सोनबा मुसाले के पुत्र रोहित मुसाले, कलमेश्वर तालुका के वरिष्ठ भाजपा नेता दिलीप धोटे और ऐसे कई वरिष्ठ कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं तथा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया पर बैनर पोस्टरोमे दिखाई दे रहे हैं. तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेतागनो पे संपर्क बनाये हुये है.सभी राजनीतिक पंडितों की नजर इस बात पर है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस इस बार सावनेर कलमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से किस को उम्मीदवार बनाकर फीर एकबार सावनेर कलमेश्वर विधानसभा चुनाव मे उतारते हैak ak