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वर्दी के घमंड और अहंकार में चूर पुलिस निरीक्षक द्वारा संवैधानिक न्याय मित्र और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक कार्यकर्ता से घटिया बातचीत

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।।प्रेस नोट।। वर्दी के घमंड और अहंकार में चूर पुलिस निरीक्षक द्वारा संवैधानिक न्याय मित्र और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक कार्यकर्ता से घटिया बातचीत नागपुर दिनांक २१/०५/२०२२ कल दोपहर गोंदिया गोरेगांव से भीषण तपती धूप में दोपहिया वाहन में अपनी पत्नी […]

।।प्रेस नोट।।

वर्दी के घमंड और अहंकार में चूर पुलिस निरीक्षक द्वारा संवैधानिक न्याय मित्र और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक कार्यकर्ता से घटिया बातचीत

नागपुर दिनांक २१/०५/२०२२ कल दोपहर गोंदिया गोरेगांव से भीषण तपती धूप में दोपहिया वाहन में अपनी पत्नी और ९ माह की बेटी के साथ एक युवा पीड़ित फिर्यादी व्यक्ति सचिन गणपत वाघ जो कि अपने सगे मामा और उसके परिवार द्वारा पुस्तैनी जमीन जायदाद के लिए सताया जा रहा है इस बात को लेकर विभिन्न न्यायालयों में न्याय मित्र और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता

अरविंदकुमार रतूड़ी के पास नागपुर आते है अपनी फिर्याद लेकर ताकि उसे संवैधानिक तरीके से न्याय मिलने में कुछ मदद मिल सके क्यूं कि उसके मामा द्वारा उसे और उसके परिवार को जान का खतरा और झूठे केस में फंसाने का डर लगा रहता है यह बात फिर्यादी द्वारा रतूड़ी को लिखित स्वरूप में भी दी गई है और बताया गया कि जब भी गैर अर्जदार परिवार मारपीट करता है और पीड़ित परिवार अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन गोरेगांव थाने में जाता है तो वहां उन्हें हमेशा असंज्ञेय मामाला बता और दर्ज करके अदालत जाने की सलाह दी जाती है उन्हें थाने से कोई कानूनी फायदा नहीं होता है जबकि थाने में दोनों पक्षों को बुला कर मामला शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त किया जा सकता है मगर पुलिस अधिकारी सुनने और समझने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है इस लिए अपने मौलिक अधिकारों के तहत संवैधानिक मदद मांगने हेतु वाघ परिवार नागपुर रतूड़ी के पास आता है और जब न्याय मित्र रतूड़ी उस थाने गोरेगांव के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सचिन माहत्रे जी को फ़ोन करके केस के बारे में बातचीत करना चाहते है और अपना संवैधानिक दायित्व वाला परिचय देते है तो वर्दी के घमंड और अंहकार में चूर इंस्पेक्टर रतूड़ी से कहते हैं कि”तू कौन है” रतूड़ी फोन काट देते है पत्रकारों को अपनी पीड़ा बताते हुए रतूड़ी ने कहा कि जरा सोचने वाली बात है कि मेरे समान संवैधानिक जन प्रतिनिधि जो विभिन्न न्यायालयों में काननी न्याय मित्र,जनसहायक मित्र,केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक की विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं में संवैधानिक जिम्मेदारी उठाता हूं और ४ सामाजिक संस्थाओं का संस्थापक अध्यक्ष के अलावा लगभग ४५ सामाजिक संस्थाओं का राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करता हूं और लगभग ३० सालों से जनहितार्थ प्राणीहितार्थ निशुल्क,निस्वार्थ निर्भीक,निष्पक्ष सेवा दे रहा हूं और कई जटिल से जटिल केसों को सुलझाने में शासन प्रशासन की मदद कर चुका हूं फिर भी जब मेरे समान उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति से पुलिस इंस्पेक्टर महात्रे का ऐसा व्यवहार है तो सामान्य नागरिकों के लिए कैसे होगा ? क्यूं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग कम पढ़े लिखे और अपने मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं रहते है ऐसे लोगों के साथ क्या इंस्पेक्टर इंसाफ करते होंगे ? ऐसा प्रश्न रतूड़ी द्वारा उठाया गया है इस गंभीर असभ्य मुद्दे को लेकर आने वाले समय में रतूड़ी द्वारा अपने मानवाधिकार और संवैधानिक दायित्व का जो हनन इंस्पेक्टर द्वारा निचले स्तर की भाषा द्वारा किया गया है उसके लिए माननीय महामहिम राज्यपाल,मुख्यमंत्री गृहमंत्री मुख्य प्रधान सचिव,गृहसचिव राज्य शासन महाराष्ट्र एवं पुलिस महानिरीक्षक महाराष्ट्र राज्य विशेष पुलिस महानिरीक्षक ग्रामीण विशेष महानिरीक्षक गोंदिया,गढ़चिरौली डिवीजन से ऐसे अधिकारियों के अनुशासन और व्यवहार पर बातचीत और शिकायत दर्ज कराई जाएंगी और कठोर से कठोर संवैधानिक कार्रवाई की मांग की जाएंगी ताकि भविष्य में किसी भी राजनैतिक सामाजिक या सामान्य नागरिकों के साथ पब्लिक सर्वेंट इंस्पेक्टर द्वारा ऐसा व्यवहार न हो और लोगों के मन में पुलिस,वर्दी और कानून न्याय व्यवस्था का सम्मान बना रहे!! किसी भी नागरिक के मन में वर्दी और पुलिस के लिए डर और आक्रोश न रहे बल्कि मजबूत विश्वास बना रहे

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