चोरों की मोदी सरकार..? देश बेटे क लीये.. कोरोना के नाम पर जनता को मार रही क्या.??
मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि 26 अप्रैल 2021.:-
मैं एक बात नहीं समझ पा रहा हूं कि पहले की सरकार में 1962, 1965, 1971 की भीषण लड़ाईयाँ भी हुई पोलियो, प्लेग, हैजा, टीबी जै
सी महामारियाँ भी आई। जिनका मुफ्त में इलाज हुआ मुफ्त में पूरे देश का टीकाकरण हुआ .खरबो का घोटाला भी हुआ, काला धन विदेशों में भेजा गया, भ्रष्टाचार खूब व्याप्त रहा .फिर भी बहुत सारे सरकारी कारखाने व कंपनियां स्थापित हुई .सरकारी अस्पताल, सरकारी कॉलेज, सरकारी स्कूल बनें, सरकारी नौकरियों में कोई कमी नहीं रही . लोगों को नौकरियां दी गई जो व्यक्ति इंटर – मैट्रिक पास कर जाता था उसे घर से बुलाकर नौकरियां दी गई, तनख्वाह में कोई कमी नहीं रही भत्ता हमेशा लगातार बढ़ता था महंगाई भत्ता 131% तक दिया सबसे अधिक वेतन वृद्धि छठे वेतनमान में मिली, सरकारी कर्मचारियों को पेंशन दिया जाता था, देश की जीडीपी 8% से ऊपर थी. आखिर यह सब गद्दार चोरों की सरकार कैसे कर लेती थी . जो दिव्य महापुरुष की सरकार नहीं कर पा रही है. जबकि विदेशों से काला धन वापस आ गया, नोटबंदी से देश का काला धन वापस आ गया, चोरों की सरकार की बनाई गई सरकारी संपत्ति को भी बेचा जा रहा है, तब भी दिव्य पुरुष की “सरकार” नौकरियां, वेतन भत्ते, पेंशन नहीं दे कर किसान, मजदूर और आम नागरिक को टेंशन ही दे रही है सभी की नौकरियां चली गयी, सभी NGO से पैसा प्रधानमंत्री रिलीफ़ फ़ंड में जमा करवा लिया कोई युद्ध भी नहीं हुआ , जीडीपी माइनस मे चल रही है और डीजल, पेट्रोल पर सब्सिडी की जगह सरकार टैक्स बढ़ा कर 40 रुपये और कमा रही है इन्श्योरेंस और म्यूच्यूअल फण्ड पर भी 18% टैक्स से कमा रही है , और फिर भी सारी जेबे खाली है, देश का रिज़र्व बैंक में आपातकालीन जमा में से 175 अरब रुपये निकालकर खर्च कर दिये अगर कोई बोल रहा है, तो उसको खालिस्तानी, पाकिस्तानी या देशद्रोही बोला जा रहा है। मेरे ख्याल से युवाओं को तो कम से कम जाग जाना चाहिये, जो पढ़े लिखे होने का दम भरते है जंजीर नहीं कटती तो अपने पांव काट लो, लंगड़ा कर चलो, मगर आज़ादी से चलो!