क्या नरेंद्र मोदी जी,,??ईवीएम मशीन को दोष देने वालों का खेल खत्म हो जाता है?? विजय बौद्ध
मुंबई संवाददाता / चक्रधर मेश्राम दि ६ अप्रैल २०२१
, जब कोई ईवीएम को दोष देने लगे तो समझ लीजिए कि उसका खेल खत्म हो चुका है। तो नरेंद्र मोदी जी, असम में बीजेपी विधायक के गाड़ी में ईवीएम मशीन रंगे हाथों पकड़ा गई, तो क्या यह अन्य राजनीतिक दलों का, लोकतंत्र का खेल खत्म करने के लिए ही ऐसा घिनौना खेल आप खेल रहे हैं ॽ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बंगाल विधानसभा चुनाव हुगली के तारकेश्वर रैली को संबोधित कर रहे थे, और बोल रहे थे, जब कोई ईवीएम मशीन को दोष देने लगे तो,समझ लीजिए कि उसका खेल खत्म हो चुका है। मोदी जी आप ईवीएम मशीन हेरा फेरी करें, आपके बीजेपी विधायक असम में मशीन चोरी करें, आप चुनाव आयोग के साथ सांठगांठ कर, सत्ता पर अतिक्रमण करें, लोकतंत्र की हत्या करें। फिर भी यदि कोई ईवीएम मशीन को दोष दे, तो समझ लेना चाहिए कि उसका खेल खत्म हो गयाॽ इतनी ही मर्दानगी है, तो ब्लैट पेपर से चुनाव क्यों नहीं करा लेतेॽ विपक्ष मुक्त देश एवं लोकतंत्र विहिन समाज बनाने का जो आप लोगों ने षड्यंत्र रचा है,, ना,,, एक दिन जब गुलाम मानसिकता के लोगों का जमीर जाग जाएगा तो उसी दिन आप का खेल खत्म हो जाएगा। आसाराम बापू को देश के मानसिक गुलाम भगवान मानते थे। आज उसका भी खेल खत्म हो गया। जिस हिटलर की विचारधारा के तहत आप तानाशाह मनमाना रवैया अपना रहे हैं। वह हिटलर विश्व भर में अपनी क्रूरता के लिए विख्यात एक महान तानाशाह था। जिस ने जर्मनी को उसकी प्रतिष्ठा लौटाने के लिए ,असंख्यक यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया था। ऐसा योद्धा, शत्रुओं के हाथों पकड़े जाने और अपमानित होकर मर जाने से भयभीत,, रूस, ब्रिटेन एवं अमेरिका से युद्ध हारने के बाद, अपनी पत्नी इवा ब्राउन के साथ आत्महत्या कर लिया था। उसकी जवान ,,प्रेमिका,, पत्नी इवा ब्राउन ने जहर खा लिया था। और एडोल्फ हिटलर ने अपनी रिवाल्वर की गोली अपने मुंह में मारकर आत्महत्या कर लिया था। हिटलर ने आत्महत्या करना क्यों?? उचित समझा था, क्योंकि हिटलर ने मुसोलिन की विद्रोहीयो के हाथों हत्या होते हुए देखा था। विद्रोहियों ने मुसोलिन एवं उसकी पत्नी कोमोझील को गोली से उड़ा दिया था। और उनके मृतक शरीर को उन्हें अपमानित करने के उद्देश्य पी जेल लोरेटो में लटका दिया गया था। इस मृत्यु से हिटलर की रूह कांप गई थी। इस कारण हिटलर ने शत्रु के हाथों मरने के बजाय आत्महत्या कर लिया था। मोदी जी आप अपने देश में अनगिनत शत्रु पैदा कर ऐसी स्थिति पैदा मत करिए। इस देश की आजादी के लिए अनगिनत लोगों ने कुर्बानी दी है। फांसी के फंदे पर झूले हैं। डॉक्टर अंबेडकर ने लंदन में गोलमेज कांफ्रेंस में अपने देश की आजादी, स्वराज के लिए ऐतिहासिक क्रांति की थी। तब यह देश को आजादी मिली थी। जिस तरह से आप देश के बहुजन, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का कत्ल कर, उन्हें मौत के घाट उतारने की मानसिकता बनाए हुए है। यह देश के लिए एवं आपके लिए भी अत्यंत घातक है। जिस ब्राह्मणवाद, मनुवाद की जड़े मजबूत किए जाकर बहुजन समाज के तबाही का आपने मंजर खड़ा किया है, उसमें आप सफल नहीं होंगे। क्योंकि आज ही मैंने यादव सेना की ललकार पड़ा है, उन्होंने कहा है कि जब तक ब्राह्मणवाद, ब्राह्मणों का खात्मा नहीं करेंगे, चैन से नहीं बैठेंगे। इसी तरह अन्य पिछड़े वर्ग और मानसिक गुलाम दलित बहुजन जिस दिन जाग जाएंगे तो आपको भी हिटलर की तरह आत्महत्या करने मजबूर होना पड़ेगा। यह देश छोड़कर ब्राह्मणों को भागने मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि यह देश भारत के मूलनिवासी बहुजनओं का अल्पसंख्यकों का देश है। आप बहुजनों को कायर, कमजोर मत समझिए। 1 जनवरी 1800,, भीमा कोरेगांव के इतिहास को जिस दिन दोहराया जाएगा उस दिन मनुवाद ब्राह्मणवाद का इस देश से खत्म हो जाएगा। याद हैआपको,, मात्र 500 महार शुरवीर सैनिकों ने 28000 पेशवाओं को युद्ध में छक्के छुड़वा दिए थे। बाजीराव पेशवा सहित हजारों पेशवाओ को कत्लेआम कर दिया गया था। आज इस इतिहास को भी आप लोग मिटाने का षड्यंत्र रच कर, उनके शौर्य दिवस पर लाखों लोगों पर जाति हमले, हिंसा करने का पाप कर रहे हो। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था, जहां सहनशीलता खत्म होती है, वहीं से क्रांति का उदय होता है। जिस दिन भीमा कोरेगांव की पुनरावृति हो जाएगी तो आपका, मनुवादियों, का भी खेल खत्म हो जाएगा। ईवीएम मशीन की हेराफेरी रोकने, ब्लैट पेपर से चुनाव किए जाने, एवं मनुवादियों के गुलाम भ्रष्ट चुनाव आयोग के खिलाफ उसी शूरवीर महार कौम के वामन मेश्राम ने देशव्यापी जन आंदोलन खड़ा किया है। जिस दिन ईवीएम मशीन हेराफेरी और चुनाव आयोग के साथ आप की सांठगांठ खत्म हो जाएगी, उस दिन तुम्हारी भी तानाशाही का खेल खत्म हो जाएगा। इसलिए देश के सभी वर्ग समाज के लोगों के कामयाबी खुशियों के लिए काम करें। ताकि मरने के बाद भी आप अमर हो जाओ। अन्यथा इतिहास के पन्नों पर आपका नाम काले अक्षरों से लिखा जाएगा। वामन मेश्राम आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं, क्योंकि अब यह देश आंशिक आजाद है, पूर्ण रूप से आजादी जो मिली थी, वह स्वतंत्रता एवं अधिकार खतरे में है। मनुवादी फासीवादी ताकतों ने देश को गुलामी की ओर धकेल दिया है। वे तानाशाह शासन चला रहे हैं। गुंडाराज चल रहा है। संविधान को खत्म कर, वर्ण व्यवस्था, मनुस्मृति के अनुरूप देश को संचालित किया जा रहा है। हिंदूराष्ट्र,,, ब्राह्मणराष्ट्र,, रामराज्य बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। इस षड्यंत्र के खिलाफ वामन मेश्राम बहुजन मुक्ति आंदोलन सक्रिय है। क्योंकि जब तक देश में ईवीएम मशीन से चुनाव होंगे, फासीवादी ताकतों को कोई रोक नहीं सकेगा। इसलिए बहुजन मुक्ति आंदोलन वामन मेश्राम ईवीएम मशीन एवं चुनाव आयोग के खिलाफ लड़ रहा है। यह उसकी आजादी की दूसरी लड़ाई है जंग है। वहीं कई नेता इस षड्यंत्र के खिलाफ न लड़कर राजनीतिक सत्ता हथियाने चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ नेता सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की राजनीति कर समूचे देश में अपने प्रत्याशी खड़े कर कहीं ना कहीं मनु वादियों को सत्ता में पहुंचाने का रास्ता तय कर रहे हैं। दलितों पर हो रहे अत्याचार पर खामोश है, वही ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचारों पर क्रांति करते हैं।सरकार किसी की भी हो निडर होकर उनकी कमियों को उजागर करना ही सबसे बड़ी देशभक्ति है, तलवे चाटने वाले देशभक्त नहीं दलाल होते हैं, इसलिए दलाली छोड़ो। बहुजन महापुरुषों की बात करने वाले परशुराम की जयंती मनाते हैं। और वे ऐसा करके मनुवाद की जड़े ही मजबूत करने का पाप कर रहे हैं ।और वे ऐसे लोग हैं जो कहीं ना कहीं ब्राह्मणवाद के चक्रव्यू में बुरी तरह से फंसे हुए हैं। वैसे वामन मेश्राम का कोई राजनीतिक आधार नहीं है, फिर भी उनका भी एक राजनीतिक दल है। जो पिछले 2 वर्ष पहले गोंदिया महाराष्ट्र लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने अपना प्रत्याशी उतारकर वही गलती किया था, जो गलती कुछ नेता कर रहे हैं। वैसे मैं वामन मेश्राम का कोई समर्थक या विरोधी नहीं हूं। जो हकीकत है वही लिख रहा हूं। देश के तमाम बहुजन अल्पसंख्यक नेताओं ने संगठित होकर चुनाव लड़कर हारने के बजाय, प्रजातंत्र की हत्यारी ईवीएम मशीन एवं भ्रष्ट चुनाव आयोग के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का शंखनाद करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो फासीवादी मनुवादी ताकतों का हमेशा इस देश पर राज होगा। और वे हमें अपना गुलाम बना देंगे। इसलिए ,,,गुलामी से मुक्ति चाहते हो तो,,, संगठित संघर्ष करो ,!!