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किसान खरीफ के फसलों की बुवाई-पूर्व खेती में व्यस्त हैं; बाजार में बीजों,खाद, किटकनाशक के सत्यापन में जुटा

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काटोल/कोंढाली- खरीफ की बुवाई का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इस साल बारिश कैसी होगी।फिल हाल प्री मान्सून बरस रहा है.किसान खरीफ फसलों के लिए बुवाई-पूर्व खेती में व्यस्त हैं, लेकिन बेमौसम मौसम उनके प्रयासों में खलल डाल […]

काटोल/कोंढाली-
खरीफ की बुवाई का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इस साल बारिश कैसी होगी।फिल हाल प्री मान्सून बरस रहा है.किसान खरीफ फसलों के लिए बुवाई-पूर्व खेती में व्यस्त हैं, लेकिन बेमौसम मौसम उनके प्रयासों में खलल डाल रहा है। मई माह समाप्त होने को है ,और किसान अब मृग नक्षत्र की बुवाई के लिए अपने खेतों की जुताई में व्यस्त हैं।वहीं किसान दूसरी ओर, किस कंपनी का बीज अच्छा होगा, इसका परीक्षण काटोल/कोंढाली कृषि दुकानों में जानकारी तथा ‌सत्यापन करते देखा जा रहा है। काटोल तालुका का भौगोलिक क्षेत्रफल 80224.80 हेक्टेयर है। फसल के अंतर्गत क्षेत्रफल -51073 हेक्टेयर है. तथा इस वर्ष खरीप सीजन के दौरान कुल (46064 हेक्टेयर) क्षेत्र में खरीप फसलें बोई जाएंगी। इसमें से 14200 हेक्टेयर सोयाबीन तथा 22828 हेक्टेयर कपास की फसल के लिए प्रस्तावित है। इसके अलावा तुअर-7100 हेक्टेयर, ज्वारी-150 हेक्टेयर, मक्का-250 हेक्टेयर, मूंगफली-200 हेक्टेयर, मूंग-200 हेक्टेयर, उड़द-150 हेक्टेयर, भसब्जभाजी बागान-750 हेक्टेयर, और अन्य खरीप फसलें-22 हेक्टेयर अनुदानित है। यह जानकारी काटोल तालुका कृषि अधिकारी रचना भोसले ने दी है। खरीफ की बुवाई का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इस वर्ष बारिश कैसी होगी। वर्तमान में बेमौसम बारिश हो रही है।, परन्तु कृषी के लिये सात जून तक मृग नक्षत्र की वर्षा होना आवश्यक है।वहीं किसान इस वर्ष खाद और बीज के दाम कुछ हद तक बढ़ गये हैं। किसान बुवाई के लिए उर्वरकों और बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपनी वित्तीय योजना भी बना रहे हैं।
14600 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की आवश्यकता
खरीफ फसलों के लिए 14600 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की मांग की गई है। इसमें यूरिया- 4300 मीट्रिक टन, डीएपी 2300 मीट्रिक टन, एमओपी 600 मीट्रिक टन, मिश्रित उर्वरक-4200 मीट्रिक टन, एसएसपी 3200 मीट्रिक टन, कुल 14600 मीट्रिक टन शामिल हैं।
*उर्वरकों की योजना* अप्रैल माह में 3294 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक उपलब्ध थे तथा 11306 मीट्रिक टन की आवश्यकता है, जिसकी मांग वरिष्ठ स्तर पर की गई है। 1 लाख 14 हजार 139 पैकेट कपास की मांग की गई है। सोयाबीन 3727.50 क्विंटल, तुअर 372 क्विंटल, ज्वारी 12 क्विंटल, मूंग 503 क्विंटल, मक्का 50 क्विंटल, मूंगफली -60 क्विंटल की मांग है। कृषि अधिकारी रचना भोसले ने बताया कि खरीफ सीजन में किसानों को बीज एवं उर्वरक खरीदते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बीज खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियां गुणवत्ता एवं मानक की गारंटी देने वाले अधिकृत विक्रेता से ही बीज खरीदने को प्राथमिकता दें। नकली/मिलावटी बीज खरीदने से बचने के लिए, रसीद के साथ अधिकृत विक्रेता से खरीदें। रसीद पर बीज का पूरा विवरण (जैसे फसल, किस्म, पूरा लॉट नंबर, बीज कंपनी का नाम, कीमत, क्रेता का पूरा नाम व पता, विक्रेता का नाम आदि) अंकित होना चाहिए। इसके अलावा, नकद या क्रेडिट के लिए रसीद प्राप्त करें। खरीदे गए बीजों की पैकेजिंग/बैग, टैग, खरीद रसीद और उसमें मौजूद कुछ बीजों को फसल की कटाई होने तक सुरक्षित रखना चाहिए। सुनिश्चित करें कि खरीदे गए बीज उस मौसम के लिए अनुशंसित हैं। मिलावट के संदेह को खत्म करने के लिए बीज के पैकेट को सीलबंद किया जाना चाहिए। सुनिश्चित करें कि यह सीलबंद हो। बीज के अंकुरण को सुनिश्चित करने के लिए पैकेट पर समाप्ति तिथि की जांच करें। कम वजन वाले बीज, मुद्रित मूल्य से अधिक मूल्य पर बेचने या अन्य शिकायतों के लिए निकटतम कृषि विभाग कृषी सहायक तथा कृषी सेवकों तथा कृषी कर्मचारी से संपर्क करें।

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