अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, एआईकेएससीसी – 8वीं दौर की वार्ता सरकार की जिद के बीच जारी, संघर्ष की ताकत में वृद्धि।
– किसानों के, तीन खेत कानून और बिजली बिल 2020 को रद्द कराने के संघर्ष में, शब्दों को नए मायने दे दिये हैं – बार्डर, दिल्ली बार्डर बन गया है, मोर्चा, किसानों का दिल्ली संघर्ष बन गया है, केन्द्र सरकार कारपोरेट के हित सेवा की एजेन्सी है जो जनता पर आंसू गैस दागती है और किसान तनी मुट्ठियों व नारों से देश के हित की रक्षा में लगे हैं।
– देश भर में 13 जनवरी कानून की प्रतियां जलाने, 18 को महिला किसान दिवस, 23 को सुभाष जयंती और 26 जनवरी को किसान व ट्रैक्टर परेड की तैयारी तेज।
– किसान आन्दोलन खेती, खाद्यान्न रक्षा, पर्यावरण, बीज सम्प्रभुता, साम्प्रदायिक सद्भाव और देशव्यापी जन एकता का माहौल पैदा कर रहा है।
जैसे-जैसे केन्द्र सरकार द्वारा कानून वापस न लेने के विरुद्ध लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है, रेवाड़ी की गंगाईचा सीमा पर एक और विरोध का केन्द्र प्रारम्भ हो गया है और मानेसर का विरोध मजबूत होता जा रहा है। वर्किंग ग्रुप ने इस बीच 13, 18, 23 व 26 जनवरी को व्यापक गोलबंदी की अपील की है।
एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि तीन खेती के कानून को रद्द कराने का ये संघर्ष बुनियादी रूप से पर्यावरण, नदियों, वन संरक्षण तथा देश की बीज संप्रभुता की रक्षा करने का भी संघर्ष बन गया है। अगर इन कानूनों का अमल हुआ तो कारपोरेट व विदेशी कम्पनियां खेती के बाजार व कृषि प्रक्रिया पर कब्जा कर लेंगी और इन पर हमले बढ़ जाएंगे।
वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि इस संघर्ष की जीत से देश को बहुत सारे लाभ होंगे, खासतौर से देश की खाद्यान्न सुरक्षा का। कारपोरेट का हित गरीबों को खाना देने में नहीं है, बल्कि खेती से मुनाफा कमाने का है। सवाल केवल सरकारी खरीद और राशन का नहीं, इसी साल मोदी सरकार ने तय किया है कि गेहँू, चावल, ज्वार, बाजरा, जौ सबसे शराब बनाने की प्रक्रिया तेज की जाए ताकि उसकी पेट्रोल, डीजल में मिलावट की जा सके। गरीबों का खाना अमीरों का ईंधन बनेगा।
वर्किंग ग्रुप के अनुसार यह आन्दोलन सक्रिय साम्प्रदायिक ताकतों के हमलों के मुकाबले में जन एकता व साम्प्रदायिक सद्भाव का केन्द्र तो बन ही रहा है, साथ में गुरुद्वारों की सेवा संस्कृति का जो संदेश लोग ग्रहण कर रहे हैं वह कुर्बानी देने और पड़ोसी के लिए, खासातौर से वे जो पीड़ा में हैं और संघर्ष कर रहे हैं, एक गहरा लिहाज रखने का है। यह अपने हित तक सीमित रहने की कारपोरेट संस्कृति के विपरीत है।
वर्किंग ग्रुप एआईकेएससीसी ने कहा है कि खेती करने वालों के बीच व्यापक व गहरी एकता का जो माहौल बना है यह सिंचाई के पानी के बंटवारे को लेकर जो क्षेत्रीय भावनाएं जागृत की जा रही थीं, उन्हें हल करने और जल स्रोतों को कारपोरेट लूट से बचाते हुए खेती व जनता के विकास के लिए ज्यादा बेहतर इस्तेमाल करने की जमीन तैयार करेगा। नर्मदा व अन्य बड़े बांधों का पानी खेती में न दिये जाने और अन्तर्राज्यीय जल विवाद इसके उदाहरण हैं।
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—————-(नोट –विशेष नोट ) अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय परिषद सदस्यों राज्य परिषदों को प्रेषित प्रिय साथियों , अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस सर्कुलर में (एआई केएससीसी के वर्किंग ग्रुप) में विभिन्न प्रश्नों पर हुई चर्चा , केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों , सभी कृषि उपज पर एमएसपी और उसे कानूनी स्वरूप दिए जाने तथा डॉक्टर स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करते हुए किसानों के सहकारी और सरकारी कर्ज़ों की माफी पर चल रहे देशव्यापी किसान आंदोलन पर गहन चर्चा हुई l इस पूरे दौर में– पिछले 15 दिनों से वार्ता के दौरान , सरकार और किसान संगठनों के उसके बीच वार्ता के दौरान कुछ प्रवृतियां उभर कर सामने आ रही है l समय-समय पर इन पर हम वर्किंग ग्रुप में चर्चा कर तात्कालिक रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ मामलों में सफल भी हो रहे हैं l दिल्ली के बाहर पंजाब और हरियाणा के किसान लाखों की संख्या में उपरोक्त मांगों को लेकर कड़ाके की ठंड को झेलते हुए डटे हुए हैं l हजारों – हजार किसान देश के दूसरे भागों से आते हैं और एक-दो दिन रहने के बाद अपना नैतिक- भौतिक समर्थन देकर वापस जाते हैं l अखिल भारतीय किसान सभा महाराष्ट्र के 356 से अधिक साथी (जिनमें लगभग 50 महिलाएं भी थी जिनके पति और बेटों ने कृषि संकट के कारण आत्महत्या की थी) बस और गाड़ियों का काफिला बनाकर नागपुर से चलकर मध्यप्रदेश और राजस्थान के अंदर भोपाल, जयपुर सहित विभिन्न जिलों में किसानों की सभाओं को संबोधित करते हुए जयपुर– दिल्ली बॉर्डर पर शाहजहांपुर में 4 दिन धरने पर बैठे l हमारी 11 महिला साथी भी 24 घंटे उपवास परबैठी l शाहजहांपुर, सिंधु बॉर्डर और टिकारी में महाराष्ट्र के किसान नेताओं ने धरने पर बैठे किसानों को संबोधित किया l इस बीच 1 जनवरी को
भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा )के राष्ट्रीय पदाधिकारी और विभिन्न राज्यों के मशहूर और मारूफ कलाकार जो दर्जनों की संख्या में थे, उन्होंने दिल्ली आकर आंदोलनकारी किसानों के बीच अपनी बात रखी और अपने गीतों के माध्यम से अपना समर्थन देते हुए उनकी हौसला अप्लाई की l उत्तर प्रदेश के अखिल भारतीय किसान सभा के साथियों ने दिल्ली -उत्तरप्रदेश सीमा पर गाजीपुर गांव पर चल रहे धरने में लगातार भाग लिया एवं 8 जनवरी को बड़ी संख्या में पहुंच कर धरने को मजबूत किया l.सरकार और किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की वार्ता 8 जनवरी को बिना किसी निर्णय के ठहर गई l कृषि मंत्री ने साफ साफ इशारा कर दिया कि अब बातचीत सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर ही संभव और होगी और उसके निर्णय
को हमें देखना होगा — मानना होगा l फिर भी देश के लोगों को आंख में धूल झोंकते हुए यह बताने की कोशिश कृषि मंत्री और भारत सरकार
ने रखते हुए कहा कि किसानों की सब मांगों के प्रति बहुत ही सकारात्मक रुख रखती है l लेकिन किसान संगठन अड़ियल रुख रखे हैं l फिर भी 15 जनवरी को सरकार फिर बात करने को तैयार है l इस बीच 11 जनवरी को संभवत सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर कुछ विशेष चर्चाएं -बहस होनी है l आंदोलन की राह में यह उतार-चढ़ाव आते रहेंगे l हम अपनी मांगों पर जिनका जिक्र ऊपर किया गया है हासिल करने के लिए संघर्ष के पथ पर डटे भी रहेंगे और अड़े भी रहेंगे l आप सभी किसान नेता और अखिल भारतीय किसान सभा के विभिन्न स्तरों पर सक्रिय रुप से कार्य कर रही
इकाइयों से निवेदन है कि 13 जनवरी मकर संक्रांति– लोहड़ी के दिन
कृषि संबंधी केंद्रीय तीन काले कानूनों की प्रतियां जलाने का काम व्यापक पैमाने पर हो l
18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में विभिन्न प्रकार केकार्यक्रम आयोजित कर किसान महिलाओं सहित अन्य महिलाओं को किसान हितों के लिए संगठित किया जाए l 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को किसान अपने संघर्षों को तेज करने के लिए उनको नमन करने के लिए आयोजित करें l सरकार नकली किसान संगठनों को सामने लाकर टकराव की स्थिति पैदा करना चाहती है l भाजपा और उसके कार्यकर्ता और उसकी सरकार , झूठ पर आधारित प्रचार अभियान चलाकर यह कह रही हैं कि यह कानून किसानों की आय को दुबला करेंगे l.साथ ही साथ किसानों ,ग्रामीण जनों, ट्रेड यूनियन ,जन संगठनों और साधारण लोगों द्वारा किसानों के आंदोलन को दिए जा रहे समर्थन को भाजपा , भाजपा शासित सरकार, धर्म और जात के नाम पर केंद्र सरकार के निर्देश पर बांटने –काटने और विखंडित करने के प्रयास में भी लग गई है l एक प्रकार का सांप्रदायिक माहौल बनाना चाहती है l 6 वर्षों के प्रधानमंत्री काल में नरेंद्र मोदी जी को कभी गुरु तेग बहादुर की याद नहीं आई और इस बार वह दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में उन्हें नमन करने पहुंच गए l गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों की कुर्बानी के लिए प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित भाजपा के पदाधिकारी और राज्य सरकारों ने विशेष कार्यक्रम बना डाले l इससे पहले यह कभी नहीं होते थे l यह सब एक घिनौनी चाल है और इससे हमें किसानों को होशियार रखते हुए देश के तिरंगे को लेकर
अखिल भारतीय किसान सभा के झंडे को लेकर किसान आंदोलन को मजबूत करते हुए सांप्रदायिक सोच और विचार को देश हित में उभरने नहीं देना चाहिए l आप इस ऐतिहासिक दायित्व को पूरी शक्ति से पूरा करेंगे l इस सर्कुलर को नीचे की इकाइयों तक पहुंचाएंगे l आपका साथी अतुल कुमार “अनजान” राष्ट्रीय महासचिव , अखिल भारतीय किसान सभा