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अकोला की प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा : प्रशासन की तैयारियाँ पूरी, सुरक्षा चाक–चौबंद

Summary

अकोला : जिले में होने वाली ऐतिहासिक और प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने यात्रा मार्ग का दौरा कर सुरक्षा और व्यवस्था का जायजा लिया। जिलाधिकारी और पुलिस […]

अकोला :
जिले में होने वाली ऐतिहासिक और प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने यात्रा मार्ग का दौरा कर सुरक्षा और व्यवस्था का जायजा लिया।

जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अर्चित चांडक ने गांधीग्राम (वाघोली) में पहुँचकर यात्रा मार्ग की स्थिति और सुरक्षा इंतज़ामों की जाँच की। इस दौरान पुलिस, होमगार्ड, आपत्ती व्यवस्थापन दल, संत गाडगेबाबा बचाव दल और वंदेमातरम् बचाव दल की टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं। साथ ही CCTV, ध्वनि विस्तारक यंत्र, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेड्स और जगह-जगह स्वास्थ्य सेवा पंडाल भी लगाए गए हैं।
यात्रा का महत्व
मिली जानकारी के अनुसार, राजे राजेश्वर देवस्थान की पालखी का प्रस्थान गांधीग्राम (वाघोली) स्थित पवित्र पूर्णा नदी से जल पूजन के बाद होगा। इसके बाद 300 से अधिक कांवड़िए 18 किलोमीटर की दूरी तय कर अकोला के ग्रामदैवत राजे राजेश्वर देवस्थान पहुँचकर जलाभिषेक करेंगे।
‌‌. यात्रा के स्वागत के लिए जगह-जगह मंडप सजाए गए हैं। श्रद्धालुओं के लिए पानी, चाय और नाश्ते की नि:शुल्क व्यवस्था भी की गई है। भारी बारिश के चलते पूर्णा नदी का जलस्तर बढ़ा था, लेकिन पुलिस ने एहतियातन सभी सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित किए हैं। दहिहांडा थानेदार पुरुषोत्तम ठाकरे ने भी घटनास्थल पर तैयारियों का जायजा लिया।
80 वर्षों की अखंड परंपरा
गौरतलब है कि गांधीग्राम से अकोला तक यह कांवड़ यात्रा पिछले 80 वर्षों से अखंड परंपरा के रूप में निकाली जा रही है। इस यात्रा की शुरुआत महंत मोहनदासजी नंदिग्राम ने की थी। बाद में विजयदास महाराज ने परंपरा को आगे बढ़ाया और अब पंडित निलेश महाराज उर्फ चंदु महाराज इस धार्मिक आयोजन को जारी रखे हुए हैं।
स्थानीय भक्तगणों के अनुसार, यह यात्रा केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक नहीं बल्कि सामाजिक एकता और समर्पण का उत्सव भी बन चुकी है।

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