▪सेवालाल बापू एक दूरदर्शी भविष्य वेत्ता▪ ▪थोर क्रांतिकारक , महान समाज सेवक▪ ▪उच्च कोटीके समाज सुधारक , उनके विचारोंकी उचाई इतनी बडी है, की उन्हों ने तथागत गौतम बुद्ध , संत कबीर, संत तुकाराम, महात्मा फुले,डॉ . आंबेडकर के भांती समाज एवं मानवोपयोगी दूरदर्शी विचार बताये▪
▪पोलीस योद्धा वृत्त सेवा ▪
▪गोर बंजारा जनसमूह में प्राचीन समयसे देवी और देवता-
ओंनकी संकल्पना ही नहीं थी ।
इ. स. पूर्व 1700 – 1800 मे
आर्योके साथ संघर्ष मे गोर बंजारा
जनसमूहम की हार होनेके बाद यह जनसमूह गाव – नगर छोडकर
जंगल फडीयोनं में रहने लगा ।
निरक्षरताके कारण संकटोमें पूर्व-
जोको देव – देवी मानने लगा ।
जादू टोना, मंत्र तंत्र करने लगा
और कुछ स्वार्थी , ढोंगी, शोषक,
भगत, भोपे,मंत्र तंत्र का ढोंग
रचनेवाले लोगोंने देहमे देव-देवी
आनेका नाटक कर हिलने डुलने
लगे और समस्यायोपर देव देविको
कुछ खाने- पीनेको दो ,दान-दक्षि
णा, मिन्नत करो ऐसा संकटग्रस्त को उपदेश देकर लुटनेका धंदा
सुरु किया था । इस शोषण एवं
नाटकसे मुक्ती दिलानेके लिये संत
सेवालालजिने जनसमूहको गोर
बोलीम उपदेश दिया है ।
🔸 ” धुजो मत , खेलो मत ,पुजो
मत,देव- देवी न बकरा – कुकडो
काटो मत🔸
इसका अर्थ , यह होता है कि देह
एवं शरीर, मुंडीको हिलाव डुलाव,
घुमावो मत । किसी की पूजा प्रार्थना, मिन्नत एवं दान – दक्षि ना
करो मत। भगत , भोपे , मांत्रिक
एवं तांत्रिक केहने – अनुसार मुर्गा,
बकरा आदी जीवको बली (काटो
मत ) मत दो । क्योंकी मृत काल्प
निक देव-देवी एवं अपणे पूर्वज
अपनेसे कुछ मंगते या लेने देते
नहीं । बकरा, मुर्गा ,नैवद्य ,प्रसाद,
शराब कुछ खाते पिते नहीं। केवल
भगत- भोपे मांत्रिक और तांत्रिक
की आवश्यकताओकीं पूर्ती के लि ये यह ढोंग रचा है। मृत पूर्वज एवं
मृत देव-देवी भगत – भोपोंके देहमे, शरीर में प्रवेश कर बोलते
है और अपणे रिस्तेदारोंसे , भक्तों
सें , अनुयायीयोंस कुछ न कुछ
मांगते है, यह कल्पना ही पुर्णतः
अवैज्ञानीक, अंधश्रद्धापूर्ण, मूर्ख
तापूर्ण और स्वार्थभरी कल्पना है।
अंतः ऐसें ढोंग रचकर ,बनाकर किसींनेभी ” धुजना,खेलना ,पुज
ना,जीव बली देनेकी झूटी क्रिया
या नाटक करनेका छोड देनेका
उपदेश संत सेवालालजीने
दिया है।
🔸” जो छाती करीय ओन साथ
मळीय , अन हाय नाकीय वोर
ढेर पड जाय”🔸
मतलब जो मनुष्य संकटके समय
हिंमत ,धीरज नहीं खोता ।संकटो
के साथ संघर्ष करते हुये आगे बढ
नेका प्रयत्न करता है,उसे अवश्य
सफलता मिलती है,उसकी हार
कभी नहीं होती और उसका
जीवनभी सुंदर बन जाता। जो
हिंमत करता है ,उसकी किंमत
अवश्य होती है।
🔸” अपणे पाल आपणच
ठोक लो ” ।🔸
मतलब अपणे काम खुदही कर
लो । स्वावलंबी बनो । दुसरों पर
निर्भर एवं अवलंबित मत रहो ।
खुदकी उन्नती, खुदका विकास,
खुदकी भलाई खुदकोही करणा
कींमती सूत्र है। दुसरों पर अवलंबित रहनवालेका काम
समयपर नहीं होता ।अच्छा भी
नहीं होता। अपणे पाल आपणच
ठोकलो। इसका मतलब यह है,
की अपना तंबू ,टेंट , घर आपही
खडा करलो। इस घरमें आप
तुरंत प्रवेश कर सकते है। अच्छी
बात यह है,की सुविधके लिए
आपका तंबू आप खडा करलो
🔸” संसारेम, जीवनेम केनेबी
नानक्या मोटो मत समजो ” 🔸
मतलब इस संसार में ,अपने जीवनमें किसी भी स्त्री- पुरुषको
जाती, धर्म, संप्रदाय , पंथ ,समाज
देश को छोटा ,बडा ,श्रेष्ठ कनिष्ठ
मत समझो। क्योंकी इससे छोटा
या कनिष्ठ माने जानेवालेका अप-
मान होता है। विवाद खडे होते है।
संघर्ष सुरु होते है। संघर्षके कारण
किसिकी भी उन्नती नहीं होती.
क्रांतिकारी सेवालाल महाराज के
समयमें सभी बहुजनोमें निरक्षरता
,अ ज्ञान , अंधश्रद्धा फैली हुई थी।
क्योंकी आर्योके मनुस्मूर्ती नामक
ग्रंथ के नुसार पराजित बहूजनोंको
पढाई का अधिकार नही था ।
लिखना,पढना ,सूनना, मुखोदगत
करणा, सुनाना धनसंपत्ती कमाना
अच्छे मकान, अलंकार, कपडोमे
रहना , विवाद करणा आदी सभी
बातोपर बंदी थी । गोर बंजारा –
समूह तो जंगलोमें रहता था ।
अंतः सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक शैक्षणिक ,
राजकिय क्षेत्रमें वह तीन साडे
तीन हजार साल पिछे था । वह
निरक्षरता और अज्ञान सागरमे
डुबा हुआ था।
🔸” गोर छो तो गोर करो,गोर
राजवटेरो सपनों पुरो करो”🔸
मतलब यह है,की यदी आप गोर
है,याने गोर लोग कहलाते हो तो गौर करनेका आपका परम कर्त्यव्य है। गौर यह शब्द गोर
शब्दसेही विस्तारीत हुवा है।
यह जनसमूह विचार चिंतन
करनेवाला, चिंतन के पश्चात
सुयोग्य मार्गपर, सुयोग्य दिशासे
चालनेवाला ,योग्य कृती या कार्य
करनेवाला ऐसा अर्थ ” गौर ” इस
शब्दका ध्वनित होता है। धंदेके
आधारपर इनके 30- 35 नाम है।
किंतु सभी स्वसमाजके लोगोंको
केवल गोर नामसेही पहचान देते है।
♦️डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरने
ठीक कहा है कि ,” जो समाज
अपना इतिहास भूल जात है,वह
इतिहास निर्माण नहीं कर सकता”
हम गोरवट इतिहास भुलकर हिंदू
इतिहासके गुलाम बननेके कारण
गोर इतिहास और गोरवट राज
निर्माण नहीं कर सकते । संत सेवालालकी गोरवट राज लानेकीं
इच्छा एवं सपना यदी गोर समूहको ,दूबारा लाना है तो प्रथम
▪गोर जनोंको हिंदू धर्म का
त्याग करणा होंगा। दो
तलवारें एक म्यानमे नहीं रह
सकती। डॉ . आंबेडकरके
कथनानुसार इतिहाससे कोई
शिक्षा ( धडा या पाठ ) नहीं
लिया तो इतिहास उन्हे माफ
करता ▪
क्रांतिकारी सेवालाल बापुका
सपना पुरा करनेके लिये समाजको संघटित करणा होंगा
सच्चे गोर बनना पडेगा । ♦️
▪पोलीस योद्धा वृत्त सेवा ▪
▪महेश देवशोध ( राठोड )▪
▪वर्धा , जिल्हा प्रतिनिधी ▪
▪7378703472▪