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शासकीय छात्रावासों व आश्रमों में हो रहा भ्रष्टाचार

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शासकीय छात्रावासों व आश्रमों में हो रहा भ्रष्टाचार   ए डाक ही जगह कई वर्षों से जमें हैं अधीक्षक   मामला परसमानिया अनसूचित बालक छात्रावास का   सतना नया इंडिया यदुवंशी ननकू यादव जिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति बालक […]

शासकीय छात्रावासों व आश्रमों में हो रहा भ्रष्टाचार

 

ए डाक ही जगह कई वर्षों से जमें हैं अधीक्षक

 

मामला परसमानिया अनसूचित बालक छात्रावास का

 

सतना नया इंडिया यदुवंशी ननकू यादव जिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति बालक बालिकाओं के नाम से संचालित छात्रावास एवं आश्रमों में शासन के नियम निर्देशों को ताक पर रखकर यहां पदस्थ अधीक्षकों द्वारा खुला भ्रष्टाचार एवं व्यापक अनियमितताएं की जा रही हैं, इतना ही नहीं परसमनिया स्कूल में तो शासन के नियम और कानून दर किनार कर आदिवासी जन जातीय कार्य विभाग की मनमानी चल रही है।

यहां पर वर्षों से जमें राम प्रकाश पांडे अधीक्षक को हटानें में शासन के नियम भी काम नही कर रहे है। इतना ही नही यहां पर अपनी मनमानी करने के लिए अधीक्षक राम प्रकाश पांडे ने छात्रावास के सहायक शिक्षक पर अनाप शनाप मनगढ़ंत आरोप भी लगवाएं एवं गाली गलौज तक किया गया ताकि कोई ईमानदार शिक्षक इनके काले कारनामों का पर्दाफाश न कर दें।

किन्तु प्रशासन द्वारा कोई जांच नही की जा रही है छात्र छात्राओ के लिए भोजन एवं अन्य व्यवस्था के नाम पर जो राशि खाते में आती है उसमें अधीक्षक की चांदी हो रही है। बच्चों को घटिया भोजन दिया जाता है एवं मेनू के अनुसार यहाँ भोजन की व्यवस्था नही रहती है । यहां पर रजिस्टर में छात्र छात्राओं की संख्या 50 बताई जाती है, लेकिन वास्तविक संख्या नाममात्र ३ की रहती है और इनकी पूरी उपस्थिति दर्शाकर शासकीय राशि का बंदरबांट किया जा रहा है।

इसी तरह कई छात्रावास अव्यवस्था का शिकार है जहां न तो साफ सफाई पर ध्यान दिया जाता और न ही अन्य सुविधाओं पर जिला संयोजक अविनाश पांडे एवं अधीक्षकों की सांठगांठ से शासकीय राशी का बंदरबांट हो रहा है जिससे आदिवासी छात्र छात्राओं को छात्रावास में सभी सुविधाएं नही मिल रही है अभिभावकों की सोच रहती है कि हमारे बच्चे बढिय़ा पढ़ रहे हैं लेकिन यहां की दुर्दशा देखकर भविष्य में कोई भी माता पिता इन छात्रावासों एवं आश्रमों में अपने बच्चों को दर्ज नही कराना चाहेंगे जिले में संचालित छात्रावासों एवं आश्रमों में खुला भ्रष्टाचार अनवरत जारी है। इसमें बहुत जल्द विराम लगना नितांत आवश्यक है वरना छात्र छात्राओं का इसी प्रकार खुला शोषण होता रहेगा।

छात्रावासों में कई साल से डटे हैं अधीक्षक

जिले में आयुक्त आदिवासी विकास भोपाल का आदेश बेअसर साबित हो रहा है। शिक्षकों का संलग्नीकरण हो या छात्रावास अधीक्षकों की पदस्थापना का सब मनमर्जी से चल रहा है शासन ने सहायक आयुक्तों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि छात्रावस के अधीक्षक तीन वर्ष तक ही प्रभार में रहेंगे इसके बाद उन्हें मूल संस्था में भेजा जाए। इनमें से कई इसी पद से सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं किन्तु यहां नियमों को ठेंगा दिखाकर दजऱ्नों छात्रावासों में छह साल से अधिक समय से एक ही अधीक्षक डटे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक

छात्रावास में इतनी राशि एंनटाइल में आती है

 

1-फर्नीचर 50,000

2-अनुरक्षण मरम्मत 5000

3-खेलकूद सामग्री 5000

4-समाचार पत्र पत्रिका 5000

5-संस्कृत गतिविधियां 5000

6-इंटरनेट मोबाइल 1800

7-आकाश मिक भ्रमण 30,000

8-शैक्षणिक भ्रमण 30,000

9-शिष्यवृत्ती 1230 एवं बालिकाओं को 1270

जय वार्षिक एवं मासिक बजट छात्रावास में आता है जिसका बच्चों के उपयोग में बहुत कम आता यह एक जांच का विषय है

इनका कहना है

पिछली बार प्रभारी मंत्री से बात की गई थी, तो कुछ काम नही हो पाया। इस बार कोशिश की जा रही है कि एक छात्रावास को एक ही अधीक्षक देखें। सहायक आयुक्त

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