ब्राह्मण जोडले सभी को प्यारा है संविधान

मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम. दि १८ एप्रिल २०२१
जब देश में संविधान नहीं था । तब…..माँझी के घर माँझी जन्म लेता था। नाई के घर नाई जन्म लेता था। सुनार के घर सुनार जन्म लेता था। लोहार के घर लोहार जन्म लेता था।
धोबी के घर धोबी जन्म लेता था।
मोची के घर मोची जन्म लेता था।
*संविधान बनने के बाद*
अब *माँझी के घर* – कमांडेंट, मैनेज़र, अध्यापक और अधिकारी जन्म लेता है।
अब *नाई के घर* – इंज़ीनियर, डॉक्टर और आईएएस अधिकारी जन्म लेता है ।
अब *वाल्मिक के घर* – इंज़ीनियर, डॉक्टर और आईएएस अधिकारी जन्म लेता है
अब *लोहार के घर* – इंज़ीनियर, डॉक्टर और आईएएस अधिकारी जन्म लेता है
अब *धोबी के घर* – इंज़ीनियर, डॉक्टर, लेखपाल और आईएएस अधिकारी जन्म लेता है
अब *मोची कोरी के घर* – इंज़ीनियर, डॉक्टर और आईएएस अधिकारी जन्म लेता है
अब *तेली के घर* – इंज़ीनियर, डॉक्टर और आईएएस अधिकारी जन्म लेता है । ये तमाम उदाहरण आपके बीच में मौज़ूद हैं। यक़ीन नहीं तो अपने बाप-दादा से पूछ लें। अब आपको तय करना है कि आप किस व्यवस्था को पसंद करेंगे ? पहली को ?? बाद वाली को ??
इससे संकुचित मानसिकता वाले लोगों को अपच व अजीर्ण होना स्वाभाविक है।…… और इसी संविधान का सहारा लेकर उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन वे लोग संविधान को समाप्त करके मनुस्मृति लागू करने के लिए कटिबद्ध हैं । फ़ैसला आपके हाथ में है वोट के रूप में….. और शायद इसीलिए कई लोगों को तकलीफ़ भी है । याद रहे कि आपका एक ग़लत फ़ैसला आपको पुरानी व्यवस्था की ओर ले जायेगा । अंत में सिर्फ़ इतना ही कहूँगा कि अगर मंदिर में जाने से समस्याएँ हल होतीं तो चतुर लोग मन्दिर छोड़कर विधानसभा, लोकसभा में नहीं आते व पढ़ाई लिखाई की तरफ सबसे ज्यादा ध्यान न देते