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बात में दम है! … शेकडो सालोंसे भारतीय समाज और संस्कृती मे फैले हुये वायरस का इलाज कब होगा? . मोदीजी आप इलाज धुमके निकालेंगे क्या.??

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मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि. 7 मई 2021 जहां इंसान.. इंसान में भेद है, उन किताबो का नाम वेद है। जहां हर इंसान समान है, उस ग्रंथ का नाम संविधान है। जो लोग हजारों साल से मन्दिर में बैठ के […]

मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि. 7 मई 2021
जहां इंसान.. इंसान में भेद है,
उन किताबो का नाम वेद है।
जहां हर इंसान समान है,
उस ग्रंथ का नाम संविधान है।
जो लोग हजारों साल से मन्दिर में बैठ के हराम का खा रहे है,
वो लोग‌ आज आरक्षण को भीख बता रहे हैं। जब पत्थर की गाय दूध नहीं दे सकती, पत्थर से बना शेर किसी को खा नहीं सकता, तो पत्थर से बनी भगवान की मूर्ति कैसे आशीर्वाद दे सकती है. ?
अम्बेडकरवाद कोई जहर नहीं,
यह शुद्ध देसी घी है,जो गधों को समझ मे नहीं आता,ओर कुत्तो को हजम नहीं होता। कुत्ते को दो-चार बार पीटो, तो वो तुम्हारे दरवाजे पर बैठना छोड़ देगा, लेकिन इतनी पिटाई के बाद भी, दलित / आदिवासी / पिछड़ा मन्दिर जाना नहीं छोड़ते।
आज अयोध्या खुद ही गवाही दे रही है, कि मैं साकेत हूं।
सत्य कभी छूपता नहीं।
हर तकलीफ से इंसान का दिल दुखता बहुत है। पर हर तकलीफ से इंसान सीखता ही बहुत है।
ब्राह्मणवादी को बाबा साहब की मूर्तियों से खतरा कम ,उनकी लिखी हुई किताबों से ज्यादा है।
और कुछ लोगों को उनकी लिखी हुई किताबो की ओर लगाव कम, मूर्तियों से ज्यादा है।
जब धरती पर कोई ऐसा समय आयेगा,जब इंसान स्वयं को बचाने में लग जायेगा,तब समझ जाना, कोई भगवान नहीं है। बुध्द
अगर विज्ञान विकसित ना हुआ होता, तो आज ब्राह्मणवादी कोरोना को देवी देवताओं का प्रकोप बता कर मन्दिरों में धन लूट रहे होते।
बुध्दा,कबीर,जोतिबा, गाडगे बाबा,संत तुकाराम,गुरु घासीदास,डां अम्बेडकर ने बताया। लोगो ने नहीं सुना। अब कोरोना ने बता दिया कि मन्दिर में भगवान नहीं, बामणवादी का पेट है। गौतम जागा तो बुध्द बने।
अशोक जागा तो सम्राट बने।
अम्बेडकर जागा तो राष्ट्र बना।
आप जागोगे तो देश बन जायेगा
वह तुम्हारी शिक्षा पर चोट कर रहे हैं ना, तुम उनकी भिक्षा पर चोट करो। दान दक्षिणा पूरी तरह से बंद करो। कोई भी भगवान और देवी देवता आपकी रक्षा नहीं कर सकते।
आज कोरोना से सीख ले लो।
अम्बेडकर कथित शूद्र थे,पढ़ लिख के संविधान लिखा। सुदामा कथित ब्राह्मण थे,पढ़ लिख के भिखारी बना। जाति क्षेष्ठ या कर्म? भारत में अनेको वायरस है, जिनका अभी तक सफल इलाज नहीं। जैसे ब्राम्हणवाद – पांखन्ड, अंधविश्वास, छूआछात, जातिवाद,अन्याय ओर शोषण।
इतका इलाज इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी करने को तैयार है क्या.??

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