किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कृषि चिकित्सालय की मांग राज्य के कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर सूचना (ज्ञान) केंद्र की आवश्यकता।
संवाददाता – कोंढाली आने वाले वर्षों में कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल की बहुत जरूरत होगी, ताकि किसानों की उत्पादकता बढ़े और उनकी उत्पादन लागत बचे। इसी बदलाव के चलते कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का विचार सामने आया है। प्रदेश में किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए कृषि क्षेत्र में प्रायोगिक तौर पर एक नई परियोजना लाने पर विचार किया जा रहा है। बताया गया है कि बैठक में कृषि विभाग को सहकारिता विभाग के साथ समन्वय कर इस परियोजना की तकनीकी एवं वित्तीय व्यवहार्यता की जांच करने का निर्देश दिये जाने की जानकारी मिली है। आने वाले समय में बदलते मौसम, बेमौसम बारिश, फसलों में बीमारियों का लगातार प्रकोप और कृषि क्षेत्र में मजदूरों की कमी के कारण किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उत्पादन लागत भी बचाई जा सकती है। कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके, फसल के स्वास्थ्य का विश्लेषण करना, मिट्टी में कार्बन की मात्रा निर्धारित करना, खरपतवारों की पहचान करना, पिछली फसलों की तुलना करना, मिट्टी के तापमान, वायुमंडलीय आर्द्रता, फसलों पर कीट और रोग के प्रकोप की निगरानी करना और मिट्टी पर जैविक और अजैविक तनावों का पता लगाना संभव होगा। . इसके लिए यह महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्त/आबकारी मंत्री अजीत पवार द्वारा पहल करने के लिये राज्य के कृषि मंत्री, सहकारिता राज्य मंत्री और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करके जाणकारी दी। इसके लिए युवा किसानों के लिए कृषि प्रशिक्षण केंद्र, आधुनिक कृषि चिकित्सालय और आधुनिक तकनीक वाले कृषि प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की जरूरत है। महाराष्ट्र राज्य में किसानों तक उन्नत कृषि तकनीक और तकनीकों को तेजी से और प्रभावी तरीके से पहुंचाना, सभी को बेहतर बनाना। किसानों को उस क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों के साथ-साथ जानकारी उपलब्ध कराना। फसल उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि अस्पतालों सहित युवा किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रत्येक राजस्व प्रभाग के तहत कृषि चिकित्सालय की स्थापना की मांग की गई है। युवा किसानों को आधुनिक तकनीकी कृषि जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कृषि अस्पताल (कृषि प्रयोगशाला) के लिए विशेष वित्तीय निधि की मांग की गई है। राज्य में तालुका कृषि विभाग के सरकारी कृषि कार्यालय के अंतर्गत आने वाली सभी तहसीलों में चरणबद्ध तरीके से खेती शुरू करने की मांग की जा रही है। कृषि विभाग के क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करते हुए कृषकों को प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करना, आधुनिक कृषि तकनीक पर आधारित प्रदर्शनियों का आयोजन एवं प्रशिक्षण प्रदान करना, मृदा एवं जल नमूनों का विश्लेषण करना, फसलों पर कीट/रोग नमूनों की जांच करना, सुधार करना। फसल पद्धतियां, उन्नत सिंचाई पद्धतियां, उन्नत खेती पद्धतियां, जैविक खादों एवं जैविक नियंत्रकों के उत्पादन की पद्धतियां, फसल संग्रहालय के अंतर्गत विभिन्न उन्नत फसल किस्मों की पहचान, ग्रीनहाउस एवं शून्य ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोरेज का निर्माण, बीज उत्पादन, ग्राफ्टिंग आदि। इस योजना के लिए प्रदर्शन, सूचना और मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। इस योजना के लिए उच्च शिक्षित स्वतंत्र अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। वर्तमान में, इस क्षेत्र को मुख्य रूप से कृषि चिकित्सालय की स्थापना के लिए लक्षित किये जाने की मांग की। उक्त केन्द्र पर विभिन्न कार्यक्रमों जैसे फसल प्रदर्शन, कृषक प्रशिक्षण, फसल संग्रहालय, कृषक गोष्ठी, मृदा एवं जल विश्लेषण, फसलों के रोग निदान एवं कीट नियंत्रण आदि से संबंधित कृषि सेवाएं एवं जानकारी एवं मार्गदर्शन सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएं। . , इसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग के मंडल कृषि अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में होनी चाहिए। जिसके तहत यह केंद्र कृषि अधिकारी एवं उनके कृषि पर्यवेक्षकों एवं कृषि सहायकों के नियंत्रण में है। योजना के क्रियान्वयन एवं निष्पादन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी तालुका स्तर पर तालुका कृषि अधिकारी द्वारा का प्रावधान होना चाहिए, जहां कृषि चिकित्सालय (प्रयोगशाला), आधुनिक तकनीक, पर्यावरण की जानकारी रखना, प्रशासन की जिम्मेदारी हो। इस योजना का सार झूठ है। ऐसे में उपविभागीय/जिला/कृषि विभाग स्तर पर अत्याधुनिक तकनीक से लैस राजस्व परिषद (कृषि चिकित्सालय) स्वीकृत करने का अनुरोध केंद्रीय कृषि मंत्री से किया गया। जिले के प्रगतिशील किसान एवं कृषि मित्र दिनेश ठाकरे, प्रो. भास्करराव पारड, उत्तम काले, सतीश चव्हाण, किस्मत चौहान, पदम पाटिल डेहनकर, नरेश नागपुरे, वीरेंद्र सिंह व्यास, सुधीर गोतमारे, बालकिशन पालीवाल, किस्मत चव्हाण, शाहजी जाधव, महेश गोडबोले, महेंद्र ठवले, याकूब पठान, विवेक चिं, राजेंद्र जाधव, विवेक चिंचखेड़े, प्रकाश बारंगे, निखिल जैस्वाल, मंगला कालबांडे, निकिता भोंगले, रामदास मरकाम, रंजू प्रकाश बारंगे, सतीश पुंजे, राजू किनेकर, राजकुमार चोपड़े, जयप्रकाश ढोरे, रमेश चव्हाण, देवेंद्र मरसकोल्हे, रवि गुंड, पवन पेंदाम, शामराव तायवाड़े, प्रज्वल धोटे, सुदर्शन झोडे, मनोज गोरे, रूपेश बुराडकर, दुर्गा प्रसाद पांडे ने महाराष्ट्र सरकार से कृषि मंडल अधिकारी स्तर पर कृषी चिकित्सालय प्रारंभ करने की मांग की है।