अथक प्रयासों के बाद नील गाय को कुऐं बाहर निकाल में वन विभाग को मिली सफलता
कोंढाली- संवाददाता -दुर्गाप्रसाद पांडे
नागपूर वन विभाग के कोंढाली वन परिक्षेत्र के मेंढेपढार उपवन के संरक्षित वनक्षेत्र के बाजु से सटे कचारीसावंगा प. ह.62 के सर्व्हे नं431 किसान दिनकर वासुदेव नेरकर (नागपूर) के खेत के कुंऐ में ३०जुन/०१जुलाई के देर रात एक नील गाय(नर -रोही) गीरा इसकी जानकारी कोंढाली वनपरिक्षेत्राधिकारी निशिकांत कापगते को मिलते ही वन विभाग का अमला लेकर घटना स्थल पहूंचकर घटना स्थल का मुआयना कर वन विभाग के रेस्कू टीम को बुलाया गया. जिस कुंऐ में नील गाय गीरा था वह कुंआ कच्च होने से रेस्कू दल को कुऐं से नील गाय को निकालने में सफलता नही मिली. तब वन परिक्षेत्र अधिकारी निशिकांत कापगते द्वारा पहले जे सी बी से निकाल ने का प्रयास किया पर हलकी बारिश होने से तथा शाम ढलने से नील गाय को निकाने का काम रोका गया . तथा नील गाय को के खाने के लिये कुऐं में चारा छोडा गया. इस घटना की जानकारी उपवनसंरक्षक डॉ भारतसिंह हाडा, उपविभागीय वनाधिकारी आर एम घाडगे के निर्देश पर ०२जुलाई को सुबह नागपूर वाडी से हेड्रा बुलाया गया. नागपूर से हेड्रा आने के बाद कोंढाली वन परिक्षेत्र के वन अधिकारी निशिकांत कापगते द्वारा, वन कर्मचारी तथा कोंढाली के युवक रूपेश विजय बोंद्रे द्वारा ४५फिट गहरे कुंऐ में उतरकर नील गाय को पट्टा बांधकर हेड्रा के सहारे नील गाय को कुऐं के बाहर निकाला गया. कुंऐ से बाहर आते ही नील गाय जोर जोर से हू़ंकारने(चिल्लाने)लगी.इस बीच नील गाय को जिस पट्टे को बांधकर ऊपर निकाला गया, उस पट्टे को निकालने के लिये वन कर्मचारी तथा रेस्कू दल को बडे परिश्रम के बाद सफलता मिली . नील गाय के शरीर के से पट्टा निकालते ही नील गाय पुन्हा जंगल के ओर भाग गया.दो दिन से वन विभाग के अधिकारीयों द्वारा प्रयास किया गया. जिसमे वन विभाग के वन परिक्षेत्र निशिकांत कापगते , वनरक्षक ए,एन जाधव ,वि,र,सावंत,एस डी वाघमारे,टि बी राठोड,आर एस लाखाडे,एस डी बेले,वाय टि नप्ते,किशोर चन्ने,एम जि केन्द्रे,,आर ओ,जे ए लंगडे,एम एस सवाई,नंदु धोटे,किशोर कुसळकर पुंढलीक सरोदे, कोंढाली के रुपेश विजय बोंद्रे, तथा रेस्कू दल द्वारा किये गये प्रयासों से नील गाय को जीवन दानमिला.
30जुन के रात. संरक्षित वन विभाग के समिप खेतों के कुऐं में वन्य प्राणीयों का गीरना यह घटना होते रहतीं है. फिर भी वन विभाग के समिप खेतों के कुओं पर जाली लगाने की आवश्यकता है. इसके लिये वन विभाग तथा किसानों द्वारा संवाद बनाकर जंगल समिप खेतों कुओं के लिये उपाययोजना सुझाऐं. यह मांग नागरिकों द्वारा की गयी है.