हेडलाइन

शिक्षक के इंतजार में स्कूल के बाहर बैठे रहते हैं बच्चे

Summary

शिक्षक के इंतजार में स्कूल के बाहर बैठे रहते हैं बच्चे   शिक्षकों की घोर लापरवाही आई सामने नया इंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट परस्मानिया से   सतना उचेहरा परसमनिया नया इंडिया यदुवंशी ननकू यादव नौनिहालों की पढ़ाई भगवान भरोसे चलने […]

शिक्षक के इंतजार में स्कूल के बाहर बैठे रहते हैं बच्चे

 

शिक्षकों की घोर लापरवाही आई सामने नया इंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट परस्मानिया से

 

सतना उचेहरा परसमनिया नया इंडिया यदुवंशी ननकू यादव नौनिहालों की पढ़ाई भगवान भरोसे चलने लगी है जहां प्रशासन लाखों रुपये वेतन के रूप में शिक्षकों को दे रहा है। दूसरी ओर परसमनिया शासकीय विद्यालय में बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक-शिक्षिकाएं स्कूल खुलने के समय पर नहीं पहुंचते हैं। इस कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा हैं। हालात यह है कि – परसमनिया सरकारी स्कूल न तो समय पर खुल रहे हैं और न ही पूरे समय बच्चों की पढ़ाई होती है।

गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शासन ने आधा घंटा पहले तथा इतने समय ही बाद तक कक्षा संचालन शुरू होने के निर्देश जरूर दिए हैं लेकिन उन पर पूरी तरह अमल नहीं हो रहा। जारी आदेश के अनुसार स्कूल सुबह 10.30 लगना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। परसमनिया स्कूल समय पर नहीं खुल रहे। कहीं बच्चे शिक्षक के आने का इंतजार कर रहे हैं तो कहीं पर्याप्त संख्या में बच्चे ही नहीं पहुंच रहे। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों की समय पर निरीक्षण नहीं किए जाने के कारण बच्चों की पढ़ाई के हाल बेहाल हैं।

 

प्राथमिक स्कूलों का समय सुबह

 

ज्ञात हो कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों का समय सुबह 10.30 से शाम 4.30 बजे तक किया गया है। शिक्षकों को 10 बजे से 5 बजे स्कूल में उपस्थित रहने के नियम हैं। शासन-प्रशासन के आदेश का जमीनी स्तर पर कितना पालन हो रहा है। नयाइंडिया कि टीम ने सोमवार को इसकी पड़ताल की।

 

स्कूल के बाहर बैठे थे बच्चे

 

परसमनिया बस्ती में प्राथमिक शाला पर सुबह 10.30 बजे तक स्कूल के ताले नहीं खुलते थे। यहां पहुंचे कुछ बच्चे शिक्षक के आने का इंतजार कर रहे थे। जो सामने स्थित किराना दुकान पर अपने बैग रखकर बैठे थे। यहां के कुछ लोगों ने बताया कि यहां रोज का यही आलम रहता है।

 

शिक्षकों को पहले पहुंचने के हैं नियम

 

सरकारी स्कूलों के लिए अलग से नियम बने हुए है जिसमें शिक्षकों को बच्चों से पहले स्कूल पहुंचना है लेकिन विद्यालयो में शिक्षक-शिक्षिकाएं समय पर नहीं पहुंच रहे हैं और स्कूलों में तो ताले लगे रहते हैं। यह सब शिक्षकों की मनमर्जी दर्शाता है।

 

इनका कहना है।

अभी निकाय के चुनाव थे इसलिए कुछ शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई थी इस कारण से हो सकता है शिक्षक स्कूल ना पहुंचे हो मैं जांच करवा कर शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई करूंगा जिला शिक्षा अधिकारी सतना मध्य प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *