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वर्धा

▪ जयंती विशेष ▪ ▪ वसंतरावजी नाईक साहब▪ गोर बंजारा समाज के कोहिनूर▪ ▪ घुमंतूओंके के राजा किसान, मजदूर ,अछुतों तथा आदिवासी के भगवान ▪ ▪ एक अष्टपैलू सामान्य रूप मे जन्म होना सचमुच एक अद्भुत चमत्कार है▪ ▪ एक मुलखात प्रसिध्द साहित्यिक प्रा. ग. ह.राठोड सहाब से. ▪मुलाखात कर्ता महेश देवशोध (राठोड )

Summary

▪ पोलीस योद्धा वृत्तसेवा▪ हजारो सालो से नागरी मूलभूत सुविधा ओसे वंचित इतना ही नही तो सभी प्रकार की शिक्षा , सत्ता , संपत्ती ,शस्त्रसे अति दूर मुलता: घुमंतू ,गरीब ,निरक्षर ,निराधार, असंघटित ,सामाजिक ,आर्थिक, शैक्षणिक ,राजकीय ,सांस्कृतिक सुधारणा और […]

▪ पोलीस योद्धा वृत्तसेवा▪
हजारो सालो से नागरी मूलभूत सुविधा ओसे वंचित इतना ही नही तो सभी प्रकार की शिक्षा , सत्ता , संपत्ती ,शस्त्रसे अति दूर मुलता: घुमंतू ,गरीब ,निरक्षर ,निराधार, असंघटित ,सामाजिक ,आर्थिक, शैक्षणिक ,राजकीय ,सांस्कृतिक सुधारणा और संस्कार से भी वंचीत ,पहाड मे रहने वाले पशुपालक ,शिकार प्रिय, निसर्ग, संपत्तीपर पेट भरणे वाले ,चिंतित अवस्था मे, चारो और अंधेरा ही अंधेरा, समाज मे तेजस्वी सुरज की भांति अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व, असामान्य रूप मे आदरणीय वसंतरावजी नाईक का जन्म 1 जुलै 1913 को गोर समाज के एक किसान परिवार में हुआ ।
आदरणीय राष्ट्रपिता महात्मा फुले , डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की भांति आदरणीय वसंतरावजी नाईक का जीवन ध्येय भी कष्टकरी बहुजन समाज की उन्नती ,विकास न्याय देणे की और रहा । यह करते समय उन्हों ने अभिजनोपर अन्याय न होने की और पुरी तरह से ध्यान दिया था क्यों की सभी को न्यायप्रधान करना नही उनका जीवन ध्येय था
वसंतरावजी नाईक भूमि को खेतो को अपना शरीर और खेतिंरों को प्राण और देश का आधारस्तंभ समजते थे । खेति यह सभी उद्योगों की जननी है। तो सर्वप्रथम खेती खेती हरो की उन्नती विकास सुविधा की और ध्यान देणे अनिवार्य है ऐसा भी वो समझते थे । वे कहते खेती और खेतीहर यदी जीवित रहे तो धरती पर कोन मरेगाऔरं कृषक यदि नष्ट हो गये तो धर्तीपर कोण बचेगा तात्पर्य सभी को बचाना है। जिंदा रहना है ।तो प्रथम खेती की सुधारणा करना और किसानों को बचाना और सुखी रखना अनिवार्य है । आदरणीय वसंतरावजी नाईक होते तो देश मे एक भी किसानो की आत्महत्या ना होने देते थे ।देश की नदियों को जोडकर देश की पुरी भूमी वे बागायती कर डालते थे । महागाई के भस्मासुर को वे जन्म नही देते। किंतु यह सब बाते अब करने के लिए रह गई है ।भविष्य मे हुई वसंतरावजी नाईक निर्माण होने की संभावना नही है।
वसंतरावजी नाईक का कहना था कि खेती मंत्रो से तथा तंत्रसे नही होती। खेती मे मन लगाने से ही खेती होती है । मेहनसे ही खेती होती है ।और फलती फुलती है । केवल मालक बनने से खेती नही होती कसी हुई जमीन से भी ना कसी पडीत या बंजर भूमी अधिक देती है यह नाईक साहब का अनुभव था।
नाईक साहब की इन सभी क्षेत्र की सफलता का राज उनकी दूरदर्शिता ,निश्चित और पक्का ध्येय , न्याय व समता पूर्ण दृष्टिकोण, सहनशीलता ,समा योजकता, कार्य व देश के प्रति निष्ठा ,परिवर्तनवादी दिशा ,देश की जनता के प्यारे नेता, राजा, हृदय सम्राट वसंतरावजी नाईक जी को कोटी कोटी प्रणाम ।

जय भारत– जय जगत–
— – – – जय संविधान—

▪ पोलीस योद्धा वृत्तसेवा▪
▪ महेश देवशोध (राठोड)▪
▪ वर्धा , जिल्हा प्रतिनिधी▪
▪73 78 70 34 72 ▪

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