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सरकार में गुजरात के ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने वाले प्लांट बंद ? और विदेशों से खरीद रहे हैं?

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मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि. 7.मई 2021 देश में इस वक़्त दायां हाथ क्या कर रहा है? , ये बाएं हाथ को पता नहीं. मामला ऑक्सीजन प्लांट का है. जब अयोग्य, अक्खड़, मक्कार, मूर्ख और लफ़्फ़ाज़ प्रधानमंत्री हों, तो देश […]

मुंबई संवाददाता चक्रधर मेश्राम दि. 7.मई 2021
देश में इस वक़्त दायां हाथ क्या कर रहा है? , ये बाएं हाथ को पता नहीं. मामला ऑक्सीजन प्लांट का है. जब अयोग्य, अक्खड़, मक्कार, मूर्ख और लफ़्फ़ाज़ प्रधानमंत्री हों, तो देश का यही हाल होता है.
गांधीधाम के SEZ में देश के कुल दो तिहाई ऑक्सीजन सिलेंडर बनते हैं. पिछले 10 दिनों से SEZ के सभी प्लांट्स में ताला बंद है.
वजह? वजह ये कि *सरकार ने औद्योगिक ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन, आदेश में इन सिलेंडर निर्माता ईकाइयों को भी शामिल कर लिया गया. फिर 27 तारीख़ को गृह मंत्रालय को इलहाम हुआ तो एक ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया गया. इसमें कहा गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने वाले कारखानों को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाए. लेकिन, यह आदेश काग़ज़ों में ही सिमटकर रह गया. गुजरात सरकार के पास या तो आदेश की कॉपी नहीं पहुंची या फिर वहां की भाजपा सरकार को ऑक्सीजन की कमी से मर रहे लोगों की फिक्र नहीं है. हफ़्ते भर बाद भी सारे कारखाने बंद पड़े हुए हैं.
उद्योग से जुड़े लोगों का दावा है कि उन्होंने ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी को लेकर सरकार के ‘सर्वोच्च स्तर’ पर अपनी चिंता ज़ाहिर की, लेकिन हुआ कुछ नहीं. गांधीधाम से ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति देश के लगभग सभी राज्यों में होती है क्योंकि 100 में से 66 सिलेंडर यही बनते हैं. अभी हालत ये है कि *सरकार विदेशों से भीख मांग रही है या फिर दोगुने-चौगुने दाम पर ऑक्सीजन सिलेंडर ख़रीद रही है. जो अपने कारखाने हैं, वहां ताला जड़कर बैठी हुई है.
न विजय रुपाणी ने इसका पालन किया और न ही राज्य के खाद्य और औषधि प्राधिकरण के कानों पर जूं रेंगी.
पूरा देश कुप्रबंधन का शिकार बना बैठा है. देश को जितने ऑक्सीजन की ज़रूरत है, उतना भारत में रोज़ बन सकता है. हालात आपतकाल जैसे हैं, लेकिन है जनसंहार के बीच भीषण अयोग्य प्रधानमंत्री टिनोपाल डालकर कुर्ता रंगने में जुटा है.

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