काटोल विधानसभा क्षेत्र में युवाओं ने कसी कमर चुनावक्षेत्र में जनसंपर्क जोरोंपर कांग्रेस और आप पार्टी के संभाव्य उमेदवार चुनावपुर्व समर में
जातिगत समानता में वोट विभाजन के लिए वित्तीय प्रावधान ??? मतदाताओं को ईंट से पत्थर पसंद है
क्या विश्व स्तरीय शाही पार्टी से एक पत्थर में तीन शिकार होंगे?
क्या इस विधानसभा चुनाव में तेली समुदाय का उम्मीदवार होगा? चुनावी प्रतिनिधि
काटोल/ कोंढाळी -दुर्गाप्रसाद पांडे
विधानसभा चुनाव का पर्दा उठ चुका है। संभावना है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव संपन्न कराने के लिए अक्टूबर के पहले सप्ताह में चुनाव (आदर्श) आचार संहिता लागू हो जायेगी. काटोल विधानसभा क्षेत्र विधायकों की खान माना जाता है. इस बार के काटोल विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में युवा उम्मीदवारों ने चुनावी रण में उतरणे के लिये कमर कस ली है. आप तथा राष्ट्रीय कांग्रेस के युवा प्रतिनिधीयों द्वारा उमेदवारी पुर्व जन संपर्क अभियान चलाया जा रहा है, कर्मयोगी तथा ज्ञान योगी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के कर्मठ नेता तथा पुर्व गृहमंत्री स्व.डॉ श्रीकांत जिचकार पुत्र अधिवक्ता यज्ञवल्क्य जिचकार द्वारा विगत दो वर्ष पहले से ही जन संपर्क अभियान शुरू कर दिया है. आम आदमी पार्टी के वृषभ वानखेड़े पिछले कुछ समय से गांव-गांव संपर्क कर रहे हैं, इसी प्रकार जि प सदस्य सलील देशमुख द्वारा वर्ष २०२१/२०२२२में वैश्विक महामारी कोविड-19 में कठिण समय के अवसरपर ग्रामीण आंचल के गांवों कोविड पीड़ितों की मदद करना हो, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों से संपर्क करना हो, संजय गांधी निराधार योजना के लिए वरिष्ठ नागरिकों से संपर्क करना हो, काटोल/नरखेड़/मोवाड/कोंढाली/ बाजारगांव सहित अन्य स्थानों पर। स्वयं सेवी संस्था के एम्बुलेंस सेवाओं के माध्यम से तथा 332 बूथ के प्रतिनिधियों और पार्टी के पदाधिकारियों के माध्यम से वे लगातार जन संपर्क में हैं, .काटोल नगर पालिका के साथ श्री क्षेत्र पारडसिंगा के सती माता अनुसया माता देवस्थान का विकास का माडल के सहारे कार्य पुरुष के नाम से परिचित भा ज पा के काटोल विधानसभा अध्यक्ष चरण सिंह ठाकुर अपने विकास कार्यों,तथा भा ज पा के पन्ना प्रमुखों से लेकर राज्य स्तरीय मतदाताओं से संपर्क के माध्यम से लगातार संपर्क में हैं। डॉ. आशीष देशमुख को २०१४ में काटोल विधानसभा का विधायक चूना था.मतदाताओं द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव को अत्यंत सावधानीपूर्वक योजना के आधार पर पुराने सहयोगियों के भरोसे पर इस बार भी चुनावी रण में कार्यकर्ताओं के माध्यम से काटोल विधानसभा क्षेत्र में नजर आ रहा है, इसवी प्रकार ही स्वराज्य संगठन (सतरंजी संगठण)के सतीश शिंदे की अजित पवार से नजदीकियों के चलते पुर्व विधायक स्व सुनील शिंदे के कार्यकर्ता की ताकत से विधानसभा पहूंंचना चाहते हैं. तो पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध मोहिते घडी के चिन्ह के साथ काटोल विधानसभा में जनसंपर्क बढा रहे है.वहीं समीर उमप, नरेश अरसाडे, राजेंद्र हरणे, संदिप सरोदे, योगेश चाफले भी भा ज पा द्वारा चमत्कार के अपेक्षा में जनसंपर्क में है.शे का प राहूल देशमुख काटोल विधानसभा में हर गांव में उनके समर्थ है, वे क्या निर्णय लेते है इसी पर भा ज पा तथा राष्ट्रवादी शरद पवार के दल का चुनावी भविष्य निर्धारित है. उपरोक्त सभी जनप्रतिनिधी ये नियमित रूप से काटोल विधानसभा में जनसंपर्क में हैं. काटोल विधान सभा में कुल मिलाकर 25 से अधिक उम्मीदवार हो सकते हैं.
*जाती/धन/बाहुबलपर केंद्रित चुनाव*
वर्तमान समय में तो यही है कि काटोल विधानसभा वही जितेगा जिसके पास जाति/धन/मनुष्य बल है। इसमें काटोल विधानसभा में कुनबी, तेली, माली की संख्या अधिक है. इसमें भी कुनबी वोटर भी सबसे ज्यादा हैं. कुनबी मतदाताओं के वोटों को विभाजित करने के लिए तीन युवाओं को पहले से ही अप्रत्यक्ष रूप से प्रायोजित किये जाने की चर्चा जोरों पर है .जो सोचते हैं कि सत्ता किसी भी तरह से उनके पास होनी चाहिए यह और इतिहास की सबसे बड़ी पार्टी की (शाही) सोच है। वर्तमान विधायक अनिल देशमुख की जनता में की व्यक्तिगत अलग चवी है.उनकी जनसेवक के रुप में पहचान है ,काटोल क्षेत्र के सडक किसान समस्या, पानी बीजली सडक की सुविधा एक महत्वपूर्ण योगदान है. तथा किसी भी मतदार अथवा जनप्रतिनिधी को ठेस न पहुँचाना उनका संकल्प है तथा राजनितिक धरोहर है। इसी के चलते काटोल विधान सभा में वर्तमान विधायक की उम्मिद *दगडा पेक्षा वीट मऊ* कहावत के अनुरूप हो गया है। इसमें काटोल के मतदाताओं ने परमवीर के झूठे आरोप और अदालत के समक्ष उस आरोप से भागकर काटोल के वर्तमान विधायक अनिल देशमुख को बदनाम करने की (शाही) चाल के चलते विधायक तथा पुर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को सहानुभूती का फायदा मिल सकता है.वास्तव में! भाजपा, राका, सेना या किसी भी राष्ट्रीय या राज्य पार्टी द्वारा तेली समुदाय के उम्मीदवार को मैदान में उतारने का साहस करना चाहिए? एक समाचार चैनल के अनुसार भा ज पा के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले को काटोल विधानसभा क्षेत्र में नामांकित कर काटोल पर कब्ज़ा करने की शाही नियोजन किये जाने की भी चर्चा है. लेकिन ये तो नामांकन फॉर्म वापस लेने के बाद पता चलेगा की काटोल विधानसभा क्षेत्र के विधायक कौन होगा? मतदाताओं ने फैसला कर लिया है. लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण है कि क्या उम्मीदवार *दगडा पेक्षा वीट मऊ* प्रयोग काम करेगा या एक तीर से तीन 🐦 पक्षियों की शिकार का विश्व स्तरीय शाही आदेश का पालन किया जाता है।
या फिर अविनाश ठाकरे, विधायक परिणय फुके भी यहाँ के मतदाताओं के संपर्क में बताये जाते है.