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ईवीएम मशीन ही बीजेपी प्रत्याशी की गाड़ी में मिली, चुनाव आयोग नहीं मिला. अगर बीजेपी दफ्तर पर रेड पड़ता तो शायद चुनाव आयोग भी बीजेपी दफ्तर में मिल जाता.’’ बामसेफ

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नई दिल्ली संवाददाता/ चक्रधर मेश्राम : कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा कि अगर आपको लगता है कि ईवीएम एक होल सेल फ्रॉड है तो क्या बैलेट बॉक्स की वापसी के लिए […]

नई दिल्ली संवाददाता/ चक्रधर मेश्राम : कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा कि अगर आपको लगता है कि ईवीएम एक होल सेल फ्रॉड है तो क्या बैलेट बॉक्स की वापसी के लिए आप हमारे अभियान में हमारा साथ देंगे? नेता ने आज ट्वीट किया, ‘सुब्रमण्यम स्वामी जी क्या आपको अभी भी लगता है कि ईवीएम एक होल सेल फ्रॉड है? अगर हां तो क्या आप बैलेट बॉक्स की वापसी के लिए हमारे अभियान में हमारा साथ देंगे? दरअसल, सुब्रमण्यम स्वामी एक वीडियो में कहते दिख रहे हैं कि जब देश में बैलेट सिस्टम हुआ करता था हमारे पास सभी दलों के मतदाता हुआ करते थे. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक होल सेल फ्रॉड है.
बता दें कि असम बीजेपी विधायक कृष्णेंदु पॉल की पत्नी के नाम से दर्ज कार में ईवीएम पाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने प्रीसाइडिंग ऑफिसर और तीन अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया और स्पेशल ऑब्जर्वर से रिपोर्ट मांगी है. लेकिन, जो चुनाव आयोग ने ईवीएम की सफाई दी है वह वास्तव में न केवल हैरान करने वाला है बल्कि, ईवीएम फ्रॉड को साबित करने के लिए भी काफी है.
क्योंकि, जिस दिन बीजेपी प्रत्याशी की गाड़ी में ईवीएम मिली उस दिन आयोग ने यह बात नहीं कही जो आज कह रहा है. बल्कि तुरंत कार्यवाही करते हुए एक तरफ चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया तो दूसरी तरफ फिर से मतदान करने का भी आदेश जारी कर दिया.
ईवीएम कार में कैसे पहुंची? इस सवाल पर आयोग ने कहा कि करीमगंज जिले में राताबाड़ी सीट की पोलिंग टीम 149 कड़ी सुरक्षा में मतदान के बाद लौट रही थी. हालांकि, इस बीच बारिश के चलते सड़क पर कीचड़ भर गया था. आयोग ने बताया, एनएच-8 इकलौता रास्ता है जो जिले के दूरस्थ क्षेत्रों को करीमगंज से जोड़ता है. चूंकि मतदान का दिन था और शाम 6 बजे मतदान बंद हो गया. लगभग 1,300 वाहन इस रास्ते से एक साथ लौट रहे थे. खराब मौसम के चलते रास्ते में तगड़ा जाम लगा हुआ था.
फिर आयोग ने बताया कि जब पोलिंग टीम नीलम बाज़ार के पास पहुंची, तो रात लगभग 9 बजे उनकी गाड़ी खराब हो गई. भारी जाम और खराब मौसम के चलते, पार्टी अपने काफिले से अलग हो गई. टीम ने वाहन से उतरकर अपने मोबाइल पर सेक्टर अधिकारी को फोन किया और उन्हें सूचित किया. जब सेक्टर अधिकारी एक वैकल्पिक वाहन की व्यवस्था कर रहे थे, तब पोलिंग पार्टी ने खुद से एक वाहन की व्यवस्था करने का फैसला किया. जिस वाहन की व्यवस्था की गई वह बीजेपी विधायक की पत्नी की कार थी.
मजेदार बात देखिए कि उसी दिन वारिश हुई, उसी दिन उसी रास्ते पर किचड़ की वजह से भीषण जाम लग गया और उसी दिन चुनाव अधिकारियों की गाड़ी भी खराब हो गई. और तो और एक संयोग और देखिए कि अधिकारियों की मदद के लिए बीजेपी प्रत्याशी की ही गाड़ी मिल गई. यह गजब का संयोग है. सब काम संयोग बस ही हो रहा था या किसी फिल्म की तरफ स्क्रिप्ट तैयार किया गया है, बात समझ में नहीं आ रही है। सवाल है संयोग की यही बात चुनाव आयोग उसी दिन क्यों नहीं कही एक दिन बाद क्यों कह रहा है? जब चुनाव आयोग यह जानता था कि संयोग से बारिश हुई, रास्तों पर जाम लग गया, अधिकारियों की गाड़ी खराब हो गई और अधिकारियों की मदद करने के लिए बीजेपी प्रत्याशी की गाड़ी भी मिल गई तो इसका मतलब हुआ कि चुनाव अधिकारी, बीजेपी प्रत्याशी निर्दोष हैं और चुनाव पूरी ईमानादारी से हुआ है. फिर चुनाव आयोग ने अधिकारियों को निलंबित क्यों किया? दोबारा चुनाव कराने का आदेश क्यों दिया?   शुक्र है केवल ईवीएम मशीन ही बीजेपी प्रत्याशी की गाड़ी में मिली,
चुनाव आयोग नहीं मिला. अगर बीजेपी दफ्तर पर रेड पड़ता तो शायद चुनाव आयोग भी बीजेपी दफ्तर में मिल जाता. ईवीएम एक ‘होल सेल फ्रॉड’ है।
सुब्रमण्यम स्वामी एक खास बात है कि सुब्रमण्यम स्वामी बीजेपी के न केवल सांसद हैं. बल्कि वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी हैं. लेकिन, वे लगातार बीजेपी के विरोध में बयानबाजी करते हैं।
यें क्या जुमला है? इसका अर्थ यह हुआ कि सुब्रमण्यम स्वामी को बीजेपी पसंद नहीं है. इसलिए ही वे बीजेपी के विरोध में बोलते रहते हैं। मगर हैरानी की बात है कि बीजेपी का विरोध करने के बाद भी वे काफी समय से बीजेपी के सांसद बने हुए हैं, यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है. संभवतः किसी भी पार्टी का विरोध करने वाला नेता उस पार्टी में नहीं रह सकता, तुरंत इस्तीफा दे देता है या बगावत कर लेता है. परन्तु, स्वामी जी आज तक ऐसा नहीं किया, क्यों?. इसका मतलब साफ है कि सुब्रमण्यम स्वामी जनता को मूर्ख बनाने के लिए ही बीजेपी के विरोध में बयानबाजी करते हैं ,और वे सुर्खियों में रहते हैं. यही कारण है कि बीजेपी भी चुप रहती है.
इसिलीये तो बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवंम बहुजन क्रांती मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक मा.वामन मेश्रामजी चुनाव आयोग कों चोरों का सरदार कहते है।

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