आर टी ओ कार्यालय बालाघाट के भ्रष्टाचार की हो जांच. गरीबों से लुटके आर टी ओ बन रहा गब्बर
सीमा सोने कर
बालाघाट/महिला न्यूज रिपोर्टर
आर टी ओ कार्यालय बालाघाट में व्याप्त भ्रष्टाचार कई बाइक और मोटर धारकोंकी आम जुबानी बन चुकी है। जब हमने आर टी ओ बालाघाट से संपर्क करने की कोशिश की तो पता चला कि बालाघाट आर टी ओ ने अपना लैंडलाइन नम्बर सार्वजनिक नही किया है।आम लोगोंसे पूछ ताछ में आर टी ओ बालाघाट के भ्रष्टाचार की रंगीन बाते सुनकर चौक जाएंगे।
आर टी ओ कार्यालय बालाघाट ने मोटर वाहन लायसन बेचने के लिए एजेंट रखे हुए है। लर्निंग लायसन के पैसे आरटीओ एजेंट 800 रुपये बताता है। लेकिन ऑफिस में इसकी फीस कम है। एजेंट का बात करने का तरीका है लर्निंग लायसन बिना सीएफ के नही बन पाएगा कोशिश करके देख सकते हो। बालाघाट आरटीओ एजेंट से पूछिए, ये सीएफ क्या होता है? तो एजेंट कहता है लायसन बनाने के लिए जो ऊपर से पैसा देना पड़ता है वो ही है सीएफ़।आर टी ओ कार्यालय बालाघाट में भ्रस्टाचार के कुछ पासवर्ड बताती हु।
आरटीओ कार्यालय बालाघाट में सीएफ के साथ ही अन्य कई ऐसे पासवर्ड है जिन्हें रिश्वत लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आरटीओ में हर काम को कोड से ही किया जा रहा है। १)चिडिय़ा बैठाना-पैसे दो, ताकि हस्ताक्षर हो जाए२)साइड में लेना-एक कोने में ले जाओ मतलब आवेदक से पैसे ले लो३)मंतर देना-इसे मंतर दे दो, खुद पैसे दे देगा४)ढीले हो जाओ-जेब हल्की करोपरिवहन विभाग में रिश्वत का खेल कोडवर्ड के जरिए अंजाम दिया जा रहा है। आम बोलचाल में कोई भी बाबू या एजेंट सीएफ का जिक्र आसानी से कर डालते हैं। दरअसल, इस सीएफ का मतलब को-ऑपरेशन फीस यानी अब रिश्वत को सहयोग राशि का नाम दिया जा रहा है।बालाघाट स्थित आरटीओ कार्यालय में आने वाले सभी आवेदकों से इस कोर्ड वर्ड सीएफ के जरिए रिश्वत ली जाती है। ये रिश्वत एजेंट-एवजी के रास्ते बड़े अफसरों तक सीधे पहुंचती है। यहां से सीएफ को बड़े अफसर, बाबू व अन्य कर्मचारियों में बांटा जाता है। बालाघाट सीएफ के खेल की पड़ताल हो बालाघाट के एजेंट अफसर-बाबू बगैर सीएफ के काम करवाने से ही मना कर देते है। पहले जहां एवजियों के जरिए मिलने वाली सीएफ को बाबूओं के हाथों बड़े अफसरों के पास पहुंचाया जाता था, वहीं अब ये ‘सीएफ’ पुराने व अनुभवी एजेंटों को एवजी बनाकर सीधे अफसरों तक पहुंचाई जा रही है।
नहीं होता काम
बालाघाट आरटीओ में लाइसेंस बनवाने के लिए प्रति व्यक्ति 2500 से 3 हजार रुपए तक खर्च आता है। इसमें एजेंट, एवजी, बाबू से लेकर अफसर तक का हिस्सा बंटा होता है। हाल ही में 4 नंबर काउंटर यानी बगैर परीक्षा दिए ही आवेदकों को पास करने का खेल भी शुरू हो गया है। सीएफ देने के बाद ही साइन की जाती है। बिना सीएफ का आवेदन खामियां बताकर लौटा दिया जाता है।