आब!सोयाबीन के फसलों प खोडकिडे (खोडमख्खी) का प्रादुर्भाव कृषी अधिकारी पहूंचे किसानों के खेतों पर
संवाददाता- कोंढाली-
कटोल तालुका में सोयाबीन की फसल में संक्रमण की शिकायतें मिली हैं। नतीजतन, सोयाबीन उत्पादक चिंतित हैं।कटोल तालुका में दोडकी के किसान जगदीश कृष्णराव रेवतकर और नायगांव के मधुकर चंद्रभान सलाम ने अपने खेतों में सोयाबीन की फसलों पत्ते पिले पडने की शिकायत काटोल तहसील कृषी अधिकारी कार्यलय में की।कटोल तालुका कृषि अधिकारी सुरेश कन्नाके, प्र.फ.सं.केंद्र काटोल के किटकविषेज्ञ डाॅ प्रदिप दवणे,मंडल कृषी अधिकारी सागर अहिरे, विक्रम भावरी, सुधाकर लोखंडे, पंकज इंगोले प्रदीप गिडकर, महेंद्र सोमकुमार, सभी कृषि अधिकारी जटलापुर खेत में जाकर निरीक्षण किया. जिसमें यह देखा गया कि, सोयाबीन की फसल तना छेदक से प्रभावित हुआ है। कटोल तालुका के किसान बड़ी मात्रा में सोयाबीन का उत्पादन लेते हैं। साल भर का कारोबार अधिकांश सोयाबीन पर ही निर्भर रहता है। इस दौरान खोड किडे प्रकोप तेज होता दिख रहा है। शुरुआत में, बुवाई के बाद, पिछले 20 दिनों की बारिश ना होने के दौरान कई किसानों की फसल बर्बाद हो गई, लेकिन सोयाबीन की जो फसल बच गई, वह अब कीटों से ग्रसित है।
इस संबंध में कृषि अधिकारी सुरेश कन्नाके ने बताया कि 15 दिनों में सोयाबीन की फसल के तनों को खोडकिडा तने को भितर ही भितर रस सोशन करता है जिससे पत्तियां पीली हो जाती हैं औरपौधे कुपोषित हो जाते हैं. कृषी अधिकारीयों बताया गया है की यदि सोयाबीन के बीजों को थायोमेथेक्सम से उपचारित नहीं किया जाता है, तो सोयाबीन की फसल को 15 दिनों के बाद थायोमेथाॅक्झ्याम 50 प्रतिशत 30 मिली या इंडोज़ैक्सकार्ब 15.08 प्रतिशत 6.7 मिली, क्लोरिनिटिप्रोल 18.5 प्रतिशत 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।यह जानकारी दी डाॅ प्रदिप दवणे तथा कृषी अधिकारी सुरेश कन्नाके द्वारा दी गयी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह काटोल तहसील में 11हजार हेक्टर आर में सोयाबीन के फसल है।शिकायत मिलने पर कृषी अधिकारीयों द्वारा जांच की जा रही है ।
विगत वर्ष भी खोडकिडा (खोडमख्खी)के प्रभाव के चलते अधिकांस सोयाबीन की फसले चौपट हुई थी. उसका मुआवजा अब तक नही मिलेने की जानकारी सोयबीन उत्पादक किसानों द्वारा बतायी गयी है.